– कानपुर में अब तक 16000 लावारिस लाशों का संबंधित धर्म के अनुरूप अंतिम संस्कार करा चुकी समाज कल्याण सेवा समिति
सुनील बाजपेई
कानपुर। जिनका कोई नहीं होता ,उनका इंसान के रूप में ईश्वर ,अल्लाह और गॉड ही होता है। यह कथन लागू होता है, उन लोगों के संदर्भ में
दुनिया को अलविदा कहने के समय जिनके साथ उनके लावारिश शव का अंतिम संस्कार करने के लिए कोई नहीं होता, लेकिन फिर भी ईश्वर ,अल्लाह और गॉड इंसान के रूप में उनके लावारिस शव का अंतिम संस्कार अवश्य कराते हैं।
यहां बात हो रही है ,कानपुर की उस समाज कल्याण सेवा समिति की जो अबतक 16000 से ज्यादा लावारिस लाशों का संस्कार मरने वाले व्यक्ति के संबंधित धर्म के अनुरूप कर चुकी है। इसी संस्था ने कानपुर में लावारिश शवों के पांच दिवसीय कन्धा दान का अभियान भी चलाया ,जिसके अन्तिम दिन इसमें बड़ी संख्या में बौद्ध समुदाय की सैकड़ों महिलाएं भी शामिल हुईं।
उन्होंने इन लावारिशों को कंधा देने के साथ ही उनके बिछड़े दुखी परिजनों के आत्म शान्ति के लिये तथागत गौतम बुद्ध व ईश्वर से प्रार्थना भी की। इस कन्धा दानियों में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और शवों पर फूलों की वर्षा भी की, जिससे पोस्ट मार्टम से एक किलोमीटर की दूरी तक सड़क फूलों से पटी रही।
इस शव यात्रा में हे मानव तू मुख से बोल बुद्धम् शरणम् गच्छामि धम्मम् शरणम् गच्छामि संघम् शरणम् गच्छामि का उच्चारण करते हुए शव यात्रा को अन्तिम विदाई दी गयी। महिलाओं द्वारा दिये जा रहे कन्धादान अभियान में एक दूसरे से कन्धा बदलते नजर आयीं। इस मौके पर शव यात्रा में शामिल लोगों को सम्बोधित करते हुए समिति के सचिव धनीराम पैंथर ने कहा कि सभी धर्मो के लोग इस मुहिम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे है। विगत 15 वर्षों से हम गंगा को प्रदूषण से बचा रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 16000 लावारिश शवों का ससम्मान अन्तिम संस्कार करा चुके हैं। जिससे गंगा को प्रदूषित होने से बचाने में भी सफलता मिली।
इस मौके पर मनीषा पैंथर,अनीता जैसवार, आरती राव,कुं आरती राव,सीमा संखवार,पिंकी चंडा,सरोज गौतम,शालिनी गौतम,कांति, बबली गौतम,रुक्मणी,सुधा गौतम,रेखा,नीलू खन्ना,फूलमती,सर्वेश कुमारी,निशा,राजू देवी,फूल दुलारी,शीला देवी,गुड़िया सहित आदि महिलाए मौजूद रही।