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देशवासियों के बीच मन की बात : माननीय प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम मन की बात को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ हफ्तों पहले राष्ट्रहित में उपलब्धियों पर भारतवासी को गर्व है। अभी हाल ही में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी को लेकर देश में बहुत चर्चा हुई। जैसे ही शुभांशु धरती पर सुरक्षित उतरे, लोग उछल पड़े, हर दिल में खुशी की लहर दौड़ गई। पूरा देश गर्व से भर गया। श्री मोदी बोले 21वीं सदी के भारत में आज साइंस एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने हर्षित मन से कहा कि यूनेस्को ने 12 मराठा किलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में मान्यता दी है। ग्यारह किले महाराष्ट्र में, एक किला तमिलनाडु में।.

उन्होंने अगस्त का महीना को क्रांति का महीना बताते हुए कहां की 1 अगस्त को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि होती है। इसी महीने, 8 अगस्त को गाँधी जी के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत हुई थी। फिर आता है 15 अगस्त, हमारा स्वतंत्रता दिवस, हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, उनसे प्रेरणा पाते हैं, लेकिन साथियो, हमारी आजादी के साथ देश के बंटवारे की टीस भी जुड़ी हुई है, इसलिए हम 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
माननीय प्रधानमंत्री ने कहा मेरे प्यारे देशवासियों, कभी-कभी सबसे बड़ा उजाला वहीं से फूटता है, जहाँ अंधेरे ने सबसे ज्यादा डेरा जमाया हो। ऐसा ही एक उदाहरण है झारखंड के गुमला ज़िले का। एक समय था, जब ये इलाका माओवादी हिंसा के लिए जाना जाता था। बासिया ब्लॉक के गांव वीरान हो रहे थे। लोग डर के साये में जीते थे। रोज़गार की कोई संभावना नज़र नहीं आती थी, ज़मीनें खाली पड़ी थी और नौजवान पलायन कर रहे थे, लेकिन फिर, बदलाव की एक बहुत ही शांत और धैर्य से भरी हुई शुरुआत हुई। ओमप्रकाश साहू जी नाम के एक युवक ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया। उन्होंने मछली पालन शुरू किया। फिर अपने जैसे कई साथियों को भी इसके लिए प्रेरित किया। उनके इस प्रयास का असर भी हुआ। जो पहले बंदूक थामे हुए थे, अब मछली पकड़ने वाला जाल थाम चुके हैं।
ओमप्रकाश साहू जी की शुरुआत आसान नहीं थी। विरोध हुआ, धमकियां मिलीं, लेकिन हौंसला नहीं टूटा। जब ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ आई तो उन्हें नई ताकत मिली। सरकार से training मिली, तालाब बनाने में मदद मिली और देखते-देखते, गुमला में, मत्स्य क्रांति का सूत्रपात हो गया। आज बासिया ब्लॉक के 150 से ज्यादा परिवार मछली पालन से जुड़ चुके हैं। कई तो ऐसे लोग हैं जो कभी नक्सली संगठन में थे, अब वे गांव में ही, सम्मान से जीवन जी रहे हैं और दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। गुमला की यह यात्रा हमें सिखाती है।
अगर रास्ता सही हो और मन में भरोसा हो तो सबसे कठिन परिस्थितियों में भी विकास का दीप जल सकता है। श्री मोदी बोले सावन की फुहारों के बीच, देश एक बार फिर त्योहारों की रौनक से सजने जा रहा है। आज हरियाली तीज है, फिर नाग पंचमी और रक्षा-बंधन, फिर जन्माष्टमी हमारे नटखट कान्हा के जन्म का उत्सव। ये सभी पर्व हमारी भावनाओं से जुड़े हैं, ये हमें प्रकृति से जुड़ाव और संतुलन का भी संदेश देते हैं। आप सभी को इन पावन पर्वों की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं। मेरे प्यारे साथियों, अपने विचार और अनुभव साझा करते रहिए। अगले महीने फिर मिलेगें देशवासियों की कुछ और नई उपलब्धियों और प्रेरणाओं के साथ।