कानपुर : बाबूपुरवा सर्किल में पीड़ितों के पक्ष में अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही में अग्रणी आईपीएस अंजली विश्वकर्मा,कई गिरफ्तार

कानपुर के अति संवेदनशील थानों में शामिल है बाबू पुरवा का नाम, जारी कार्यवाही में घटनाओं का सटीक खुलासा करते हुए अब तक अनेक अपराधियों को भेजा जा चुका जेल

सुनील बाजपेई
कानपुर। यहां चुनौती पूर्ण मानी जाने वाली बाबूपुरवा सर्किल के गोविंद नगर, जूही ,किदवई नगर और बाबू पुरवा में पीड़ितों की हर संभव सहायता के साथ ही हर तरह के अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई लगातार जारी है, जिसके तहत घटनाओं का सटीक खुलासा करते हुए कई अपराधियों को जेल की हवा भी खिलाई जा रही है। इनमें से बाबू पुरवा कानपुर के संवेदनशील थानों में से एक है

याद रहे कि आजकल एसीपी के रूप में बाबू पुरवा सर्किल की कमान योगी सरकार की मंशा के अनुरूप अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई और पीड़ितों की सहायता में भी अग्रणी देश प्रदेश की कर्तव्यनिष्ठ और इमानदार आईपीएस अधिकारियों में से एक निष्पक्ष और पारदर्शी कार्यशैली की जुझारू तेवरों वाली कठोर परिश्रमी युवा अंजली विश्वकर्मा के हाथ में है। जहां तक आईपीएस अधिकारी के रूप में अंजली विश्वकर्मा के अब तक के कार्यकाल का सवाल है।

अपराधी बचे नहीं और निर्दोष फंसे नहीं जैसी लोकहित की प्रबल विचारधारा वाली आईपीएस अंजली विश्वकर्मा का अबतक का कार्यकाल यह साबित करता है कि उनकी कर्तव्य के प्रति प्रगाढ़ निष्ठा हर छोटी से छोटी घटना को भी बहुत गम्भीरता से लेकर पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाही और पीड़ितों की सहायता में भी कभी पीछे नहीं रहती। उनके पास जो भी जाता है। वह निराश नहीं लौटता।

कानून और शांति व्यवस्था के पक्ष में अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई और पीड़ितों की तत्काल सहायता के लिए भी चर्चित तेजतर्रार और व्यवहार कुशल आईपीएस अंजली विश्वकर्मा की इस सराहनीय कार्यशैली के संदर्भ में आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी जिस आशय की पुष्टि करता है। उसके मुताबिक अगर कोई पीड़ित सहायता के लिए आता है तो इसका मतलब है कि उसके रूप में ईश्वर ,अल्लाह और गॉड ही हमारी ,आपकी या किसी की भी अधिकार सम्पन्नता, सक्षमता और सेवाभाव के प्रति कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी की परीक्षा लेने ही आया है।

खास बात यह भी कि किसी भी पीड़ित की परेशानी और दुख का निस्तारण संबंधित के प्रति दुआओं का भी सृजक होता है जो कि उसके जीवन में फलित भी अवश्य ही होती हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि किसी के प्रति भी दुआओं और बद्दुआओं के रूप में बोले गए शब्द कभी नष्ट नहीं होते। ….और अगर होते तो हमारी या किसी की भी मोबाइल से बात नहीं होती ,क्योंकि अजर, अमर, अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से बने वाक्य ही लिखने, पढ़ने और बोलने के रुप में ही इस संसार का संचालन करते हैं।

मतलब अगर कुछ लिखा न जाए , पढ़ा ना जाए या कुछ कहा और बोला ना जाए तो इस संसार का संचालन हो ही नहीं सकता। मतलब यदि सक्षम पद वाला कोई भी मौन धारण कर ले तो सारी लोक व्यवस्था ही ठप हो जायेगी।

इसी के साथ साधारण या फिर किसी सक्षम पद के रूप में पुलिस विभाग में सेवारत होना भी संसार के अन्य सभी पदों और विभागों की अपेक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था में जितनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस विभाग की है, उतनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका संसार के किसी अन्य विभाग अथवा किसी अन्य सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं , पुलिस विभाग में किसी भी पदधारक के रूप में यह महत्वपूर्ण भूमिका संसार में इंसान के जन्म के पहले शुरू होती है और मरने के बाद भी जारी रहती हैl

यहां जन्म से पहले मतलब शिकायत पर इस आशय की जांच और विवेचना के रुप में कि पेट में बच्चा किसका है और मृत्यु के बाद भी इस आशय से कि हत्या किसने की है? मतलब जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक जैसी इतनी बड़ी भूमिका पुलिस के अलावा संसार के किसी भी विभाग या उसके सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं है। यहां तक कि किसी की हत्या के रूप में मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्मों का फल दंड के रूप में, आजीवन कारावास या फांसी के रूप में दिलाने की अधिकार पूर्ण सक्षमता भी पुलिस के अलावा संसार के किसी सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं है।

खास बात यह भी कि संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था के तहत जन्म से लेकर मृत्यु तक के बीच के समय यानी जीवन को व्यक्ति के कर्मों के अनुरूप सुख या दुख में बदलने के साथ ही लोकहित के कर्म के लिए रक्षा – सुरक्षा के रूप में जीवन को बचाने और विपरीत आचरण करने पर किसी के भी जीवन को मृत्यु (मुठभेड़) के रूप में समाप्त करने की भी क्षमता , सक्षमता और समर्थता शरीर धारी के रूप में वह रखता है ,जिसे पुलिस कहते हैं। इसी से प्रमाणित होता है कि ईश्वर , अल्लाह और गॉड संसार में व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का फल पुलिस विभाग में छोटे से लेकर बड़े पद धारक कर्मयोगियों के रूप में देता भी है। जिसके क्रम में एसीपी बाबू पुरवा के रूप में सरल और शालीन स्वभाव की आईपीएस अंजली विश्वकर्मा भी कठोर परिश्रम के साथ अपने कर्तव्य पथ पर लगातार अग्रसर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *