विश्व अस्थमा दिवस : इस दिवस का उद्देश्य ब्रोंकियल अस्थमा के प्रसार और उसके प्रबंधन के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है। विश्व अस्थमा दिवस एक वैश्विक आयोजन है, जिसे हर साल मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। पहला विश्व अस्थमा दिवस मई 1998 में मनाया गया था। इस वर्ष यह 6 मई को मनाया जाएगा। इस वर्ष की थीम है- “सभी के लिए अस्थमा देखभाल”।
इसका अर्थ है कि अस्थमा का इलाज और प्रबंधन सभी लोगों के लिए सुलभ होना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म, समुदाय, रंग या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। इस थीम का उद्देश्य है कि अस्थमा का इलाज गरीबों के लिए भी किफायती बनाया जाए, दूरदराज़ के इलाकों में भी इसकी चिकित्सा उपलब्ध हो और ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों को अस्थमा के बारे में जागरूक किया जाए।
ब्रोंकियल अस्थमा एक प्रमुख गैर-संचारी रोगों में से एक है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों में पाया जाता है। यह बच्चों को प्रभावित करने वाली सबसे पुरानी स्थिति है। वर्ष 2021 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, अस्थमा एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, जिससे लगभग 26.1 करोड़ लोग प्रभावित हुए और यह विश्वभर में लगभग 4.36 लाख मौतों का कारण बना।
ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट के अनुसार, इसकी वैश्विक प्रचलन दर बच्चों में 9.1%, किशोरों में 11.0% और वयस्कों में 6.6% दर्ज की गई। भारत की लगभग 3% जनसंख्या (करीब 3 करोड़ लोग) अस्थमा से पीड़ित है, और वर्ष 2022 में देश में अस्थमा के कारण लगभग 57,000 लोगों की मृत्यु हुई। टाटा मेन हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी ओपीडी में जिन मामलों की जांच होती है, उनमें लगभग 10% से 15% मामले ब्रोंकियल अस्थमा से जुड़े होते हैं। इसलिए अस्थमा न केवल वैश्विक स्तर पर, बल्कि भारत में और यहाँ अपने जमशेदपुर में भी काफी प्रचलित है।
अस्थमा/ब्रोंकियल अस्थमा क्या है?
ब्रोंकियल अस्थमा, जिसे आमतौर पर “अस्थमा” कहा जाता है, फेफड़ों की एक दीर्घकालिक सूजन संबंधी बीमारी है। इसमें फेफड़ों की वायुमार्ग (एयरवे) सिकुड़ने लगती हैं, जिससे खांसी, घरघराहट (व्हीज़िंग), सीने में जकड़न और सांस फूलने जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वायुमार्ग इतने संकुचित हो सकते हैं कि फेफड़ों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का संचार बाधित हो जाता है।
यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। अतः समय की आवश्यकता यह है कि अस्थमा का जल्दी निदान किया जाए; सही इलाज की शुरुआत तुरंत की जाए और डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार को निरंतर जारी रखा जाए। डॉ. रुद्र प्रसाद सामंत ने बताया कि इस वर्ष की थीम “सभी के लिए अस्थमा देखभाल” के तहत, यह अत्यंत आवश्यक है कि हम सभी को अस्थमा के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करें- इसके लक्षण, उपचार, सामान्य भ्रांतियाँ, रोकथाम के उपाय और डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए; साथ ही, अस्थमा का इलाज हर किसी के लिए सुलभ व किफायती हो, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो और वे किसी भी स्थान पर रहते हों।
लक्षणों में आमतौर पर लंबे समय तक खांसी रहना, जो कभी बलगम के साथ या कभी उसके बिना हो सकती है, सांस लेते समय घरघराहट (सीटी जैसी आवाज़), सीने में जकड़न और शारीरिक गतिविधि के दौरान सांस लेने में कठिनाई महसूस होना शामिल हैं। अस्थमा के मरीज अक्सर एक से अधिक लक्षणों के साथ सामने आते हैं और इन लक्षणों की तीव्रता समय के साथ बदलती रहती है।
यह बदलाव आमतौर पर व्यायाम, एलर्जी या प्रदूषक तत्वों के संपर्क, मौसम के बदलाव या वायरल श्वसन संक्रमण जैसी परिस्थितियों से उत्पन्न होते हैं। लक्षण विशेष रूप से रात के समय या सुबह के शुरुआती घंटों में अधिक गंभीर हो सकते हैं। ये लक्षण कभी-कभी बिना किसी उपचार के या दवाइयों के प्रभाव से ठीक हो सकते हैं और कभी-कभी यह हफ्तों या महीनों तक दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि; मरीजों को अस्थमा के अचानक बढ़ने का अनुभव भी हो सकता है, जो खतरे का कारण बन सकता है।
एलर्जी (जैसे एक्जिमा, एलर्जिक राइनाइटिस, या खाद्य पदार्थ और दवाओं से एलर्जी) अस्थमा का प्रमुख कारण है, जो लगभग 80% मामलों में देखने को मिलता है और यह अक्सर पारिवारिक रूप से जारी रहता है (जैविक प्रवृत्ति)। इसलिए, यदि बचपन में श्वसन लक्षणों की शुरुआत हो, एलर्जिक राइनाइटिस या एक्जिमा का इतिहास हो, या परिवार में अस्थमा या एलर्जी का कोई मामला हो, तो यह संकेत है कि श्वसन लक्षणों का कारण अस्थमा हो सकता है। अस्थमा का निदान लक्षणों और स्पाइरोमेट्री टेस्ट द्वारा किया जाता है।
इसलिए, यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षण हैं, तो कृपया एक डॉक्टर से संपर्क करें, जो आपको स्पाइरोमेट्री टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं और यह जांच सकते हैं कि आपको अस्थमा है या नहीं।अस्थमा जो फेफड़ों के वायुमार्ग के संकुचन के कारण होता है, के उपचार में सबसे सामान्य दवाइयाँ वे होती हैं जो वायुमार्ग को चौड़ा करती हैं (ब्रोंकोडाइलेटर्स) और फेफड़ों में सूजन को कम करती हैं (एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स)।
इनहेलर्स उपचार का मुख्य हिस्सा होते हैं, क्योंकि ये सीधे फेफड़ों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे उनका असर जल्दी होता है। इसके साथ ही, चूंकि दवाइयाँ शरीर में पूरी तरह से प्रसारित नहीं होती, इनहेलर्स के दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह जरूरी है कि रिलीवर थेरेपी (जैसे सल्ब्यूटामोल इनहेलर, जो केवल लक्षणों को राहत प्रदान करता है और बीमारी की प्रगति को नियंत्रित नहीं करता) के अत्यधिक उपयोग और कंट्रोलर थेरेपी (जैसे स्टेरॉयड युक्त इनहेलर्स, जो बीमारी की प्रगति को नियंत्रित करते हैं) के कम उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाए।
अस्थमा को बढ़ने से रोकने के उपाय:
अस्थमा को बढ़ाने वाले कारकों जैसे वायु प्रदूषण, धूल, धूम्रपान (विशेष रूप से), ठंडी हवा, तेज़ गंध और अगरबत्तियों से परहेज़ करें। ऐसे बीमार लोगों से दूर रहें जो खांस रहे हैं, ताकि संक्रमण न हो। खुद को स्वच्छ रखें, हाथों की सफाई पर ध्यान दें। अपने आस- पास को धूल और धुएं से मुक्त रखें। उचित समय पर आवश्यक टीके लगवाएं। डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी दवाइयाँ बंद या कम न करें।
अस्थमा से जुड़ी कुछ सामान्य भ्रांतियाँ और मिथक:
अस्थमा संक्रामक है- नहीं, अस्थमा एक गैर-संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क से नहीं फैलती। हर कोई बचपन में हुए अस्थमा से ऊबर सकता है- नहीं, कुछ लोगों में यह किशोरावस्था और वयस्कता में भी बने रहती है। अस्थमा केवल उच्च खुराक के स्टेरॉयड से ही नियंत्रित होता है- नहीं, इनहेलर्स उपचार का मुख्य आधार हैं। हाई डोज के स्टेरॉयड सिर्फ गंभीर परिस्थितियों में आवश्यक होते हैं।
अस्थमा वाले लोगों को व्यायाम से बचना चाहिए- नहीं, वे व्यायाम कर सकते हैं। दरअसल वे वह सब कर सकते हैं जो एक सामान्य व्यक्ति करता है- चाहे तो अमिताभ बच्चन, जेसिका अल्बा या डेविड बेकहम से पूछिए। बताते चले की विश्व अस्थमा दिवस (WAD) का आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) द्वारा किया जाता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सहयोगी संस्था है और इसकी स्थापना 1993 में हुई थी।