आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत शिरोधारा आयुर्वेद की एक ऐसी थेरेपी जिसमें सिर पर धीरे-धीरे किसी द्रव की धार अनवरत रूप से गिराई जाती है। शिरोधारा से तनाव, अवसाद, सिर दर्द, अनिद्रा, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, बालों का झड़ना जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है। डॉक्टर के परामर्श अनुसार इसे एक सप्ताह तक लगातार या सप्ताह में दो बार या कभी-कभी पंद्रह दिन में एक बार दिया जाता है।
धारा पात्र में प्रयुक्त द्रव्य के आधार पर इसके नाम अलग-अलग हैं।तेल (तेलधारा), दूध (क्षीरधारा), छाछ (तक्रधारा), नारियल का पानी (जलधारा), जड़ी-बूटियों से बना तेल इत्यादि।इस तकनीक के प्रयोग से स्ट्रेस कम होता है, जिससे मूड पहले की तुलना में काफी अच्छा रहने लगता है। इस तकनीक से कुछ क्षणों के लिए काफी रिलैक्स महसूस होता है और शांति भी मिलती है, स्वास गति घट जाता है और ब्लड-प्रेशर कम होता है। साथ ही अधिक चिंता और स्ट्रेस से राहत मिलती और आपको अच्छी नींद आती है। विभिन्न बीमारियों के कारण शरीर में हो रहे तनाव और सिर में हो रहे दर्द से राहत मिलती है।
पंचकर्म की इस पद्धति के अंतर्गत सबसे पहले शिरोधारा में रोगी के माथे पर औषधीय तेल लगाया जाता है। उपचार के दौरान, रोगी को एक द्रोणी (आयुर्वेदिक चिकित्सा की मेज) पर चेहरा ऊपर करके लिटाया जाता है, तथा उसके माथे के चारों ओर एक वर्ट्टी (सिर पर पट्टी) बाँधी जाती है। एक केंद्रीय छिद्र वाले बर्तन में औषधीय तेल भरा जाता है और रोगी के सिर से छह से आठ इंच ऊपर लटका दिया जाता है। तेल का प्रवाह नियंत्रित दर पर सेट किया जाता है। सिर पर पट्टी तेल के रिसाव की स्थिति में आँखों की सुरक्षा करती है। आंखों पर गुलाब जल तथा हुई की पट्टी रख दी जाती है जिससे आंखों में शीतलता महसूस हो।
शिरोधारा का एक और उप-विभाग तक्रधारा है , जिसमें तेल के साथ छाछ भी डाली जाती है। गर्मी के मौसम में इसमें वाला तथा अन्य जड़ी बूटियां भी मिलाई जाती हैं इस उपचार के कई चिकित्सीय प्रभाव हैं, खासकर रोगी के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार । यह वात संबंधी बीमारियों और तनाव विकारों से राहत देता है।
अगर खुद को रिलैक्स करना चाहते हैं, तो शिरोधारा तकनीक का एक बार प्रयोग करके जरूर देखें। दरअसल, शिरोधारा थेरेपी से एंजायटी कम होती है और स्ट्रेस भी कम होता है आज कुछ स्पा में भी शिरोधारा थेरेपी उपलब्ध है और इसके नाम पर मरीजों से मोटी रकम भी वसूली जाती है। पूरी प्रक्रिया में विशेष सावधानियां का प्रयोग किया जाता है वरना प्रभाव उल्टा भी हो सकता है। और सिरोधारा तकनीक का प्रयोग डॉक्टर के परामर्श पर तथा रोग अनुसार करना चाहिए।
आज की प्रदूषण नियुक्त जीवनचार्य में अक्सर बच्चों से लेकर बड़ों तक माइग्रेन की समस्या बढ़ रही है और इससे निजात पाने का आयुर्वेद के पंचकर्म के माध्यम में शिरोधारा सबसे सटीक उपाय हैं। ज्यादातर लोग एलोपैथी की बहुत सी दावों का सेवन करते हैं इसके बाद भी सर दर्द से उपजी बड़े दर्द तक की समस्याओं से परेशान रहते है। आयुर्वेद की एक ऐसी थेरेपी जिसमें सिर पर धीरे-धीरे किसी द्रव की धार अनवरत रूप से गिराई जाती है। शिरोधारा से तनाव, अवसाद, सिर दर्द, अनिद्रा, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, बालों का झड़ना जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है।
धारा पात्र में प्रयुक्त द्रव्य के आधार पर इसके नाम अलग-अलग हैं।तेल (तेलधारा), दूध (क्षीरधारा), छाछ (तक्रधारा), नारियल का पानी (जलधारा), जड़ी-बूटियों से बना तेल इत्यादि।
इस तकनीक के प्रयोग से स्ट्रेस कम होता है, जिससे मूड पहले की तुलना में काफी अच्छा रहने लगता है। इस तकनीक से कुछ क्षणों के लिए काफी रिलैक्स महसूस होता है और शांति भी मिलती है ब्रीदिंग रेट घट जाता है और ब्लड-प्रेशर कम होता है। साथ ही अधिक चिंता और स्ट्रेस से राहत मिलती और आपको अच्छी नींद आती है विभिन्न बीमारियों के कारण शरीर में हो रहे तनाव और सिर में हो रहे दर्द से राहत मिलती है।
अगर खुद को रिलैक्स करना चाहते हैं, तो शिरोधारा तकनीक का एक बार प्रयोग करके जरूर देखें। दरअसल, शिरोधारा थेरेपी से एंजायटी कम होती है और स्ट्रेस भी कम होता है. कुछ स्पा में भी शिरोधारा थेरेपी उपलब्ध है। विशेष सावधानियां का प्रयोग किया जाता है वरना प्रभाव उल्टा भी हो सकता है। और सिरोधारा तकनीक का प्रयोग डॉक्टर के परामर्श पर तथा रोग अनुसार करना चाहिए।
आज की प्रदूषण नियुक्त जीवनचार्य में अक्सर बच्चों से लेकर बड़ों तक माइग्रेन की समस्या बढ़ रही है और इससे निजात पाने का आयुर्वेद के पंचकर्म के माध्यम में शिरोधारा सबसे सटीक उपाय हैं। ज्यादातर लोग एलोपैथी की बहुत सी दावों का सेवन करते हैं इसके बाद भी सर दर्द से उपजी बड़े दर्द तक की समस्याओं से परेशान रहते है।
आज समय के अभाव में हम लोग प्राइवेट संस्थानों स्पा केदो में जाकर पंचकर्म किए तकनीकी महंगे दामों में खरीदने हैं परंतु यह सुविधा आपको भारत सरकार तथा राज्य सरकार है आयुष अस्पताल में मात्र एक के पर्चे पर उपलब्ध कराती हैं। आज समय की आवश्यकता है कि आयुष जैसे अस्पतालों को और अधिक सुविधाएं प्रदान की जाए ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों का इलाज कर सके। सरोजिनी नगर विधानसभा में 50 सैया का आयुष अस्पताल उपलब्ध है आयुष अस्पताल में सीएमएस डॉ संदीप शुक्ला के नेतृत्व में प्रत्येक दिन आने वाले हजारों मरीजों का इलाज दवा व पंचकर्म के माध्यम से किया जाता है आप भी यहां संपर्क कर सकते हैं। आइए मिलकर प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े और पर्यावरण की रक्षा करें।
@रीना त्रिपाठी