नितिन , यह आपके जाने का वक्त तो नहीं था ! तुम्हीं सो गए दास्तां कहते, कहते…..

(चंदन मिश्रा)

नितिन चौबे, यह नाम सामने आते ही एक हंसता, मुस्कुराता, लंबे कद काठी का स्मार्ट और ऊर्जा से भरे एक नौजवान का चेहरा सामने दिखाई पड़ता था। जब भी सामने आए, मुस्कुराते हुए बड़े आदर और आत्मीयता के साथ मिले। इन दिनों संघ की जूम मीटिंग हो रही है।अभी पिछले पखवाड़े की तो बात है। बीएसपीएस के झारखंड में होनेवाले राष्ट्रीय सम्मेलन को लेकर महासचिव शाहनवाज जी ने जूम मीटिंग बुलाई। नितिन भी जूम मीटिंग में शामिल हुए। इधर मीटिंग की तैयारी को लेकर बातचीत हो रही थी कि अचानक नितिन स्क्रीन से गायब हो गए। शहनवाज जी ने दो तीन बार उनका नाम पुकारा, नितिन अचानक प्रकट हुए। महासचिव ने नितिन जी से पूछा, नितिन भाई आपके यहां से कितने पार्टिसिपेंट्स आयेंगे। नितिन जी का जवाब था, 90 लोग छत्तीसगढ़ से आयेंगे, लिख लीजिए। फिर नितिन जी स्क्रीन से गायब !

उस दिन नितिन की आंख मिचौली एक नटखट बालक की तरह प्रतीत हो रही थी। हमें क्या पता था कि नितिन अचानक हम सबों को चकमा देकर सदा के लिए आंखों से ओझल हो जायेंगे ?
नितिन एक कुशल संगठनकर्ता, साहसी पत्रकार, पत्रकारों के सच्चे हितैषी और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। मुझे याद है, जब पिछले साल झारखंड में राजनीतिक उठा – पटक चल रही थी।

झारखंड के सत्तारूढ़ दल के विधायक और मंत्री छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर एक रिसॉर्ट में छिपाए गए थे। जब तक वे लोग रायपुर में रहे, नितिन हर दिन की लाइव रिपोर्ट मुझे रांची भेजा करते थे। कौन विधायक और मंत्री किससे मिल रहा है ? कौन विधायक गया, कौन आया, हर रिपोर्ट मुझे लाइव मिल रही थी। मैंने अपने अखबार ‘ हिन्दुस्तान ‘ के लिए इन रिपोर्ट्स का भरपूर उपयोग किया। नितिन भाई, इसके लिए मैंने आपको ढंग से थैंक्स भी नहीं दिया।

रांची में बीएसपीएस के प्रस्तावित सम्मेलन के लिए हमलोग तैयारी में जुटे हुए थे। दुर्गापूजा के बाद इस तैयारी को और गति मिलती। लेकिन अब दिल और दिमाग ने उधर काम करना बंद कर दिया है।
नितिन जी के मुंह से अपने साथियों के साथ ‘ छत्तीसगढ़िया, सबसे बढ़िया ‘ के नारे बीएसपीएस के हर राष्ट्रीय सम्मेलन में सुनकर रोमांचित हो उठता था। इसे कहते हैं अपने जन्म स्थली और अपनी माटी से प्यार। लेकिन क्या ईश्वर इतना क्रूर हो सकता है कि एक नौजवान साथी, दो बच्चों के पिता, वृद्ध माता पिता के दुलारे पुत्र, और एक नारी के सुहाग को एक पत्नी के सुहाग को एक झटके में छीन ले। मन भर आया है। नितिन, शायद आपका हमसबों के साथ इतने ही दिनों का होगा। भगवान नितिन के परिवार को इतनी ताकत देना कि इस संकट की घड़ी में उन्हें दुख सहने की ताकत दे।

नितिन, भाई तुम्हें तो लोग बड़ी गंभीरता से सुन रहे थे। हमें क्या पता कि तुम इतनी जल्दी सो जाओगे अपनी दास्तां कहते, कहते ……।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के राष्ट्रीय सचिव हैं)

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