पेसा कानून लागू न करना न केवल कोर्ट की अवमानना नही है, बल्कि आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा और अधिकारों का अपमान है। सरकार कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने का कार्य को अंजाम दे रही है विजय शंकर नायक

आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड हाईकोर्ट के पेसा नियमावली लागू करने के आदेश और बालू घाटों की नीलामी पर रोक के बाद सरकार के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कही ।

उन्होंने आगे कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार और “झारखंड मे वर्तमान हेमंत सरकार आदिवासियों और मूलवासियों के अधिकारों को लगातार कुचलने का कार्य कर रही है। पेसा एक्ट 1996, जो अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण और स्वशासन का अधिकार देता है, उसे लागू करने में दोनो सरकारो ने जानबूझकर देरी की है। अब जब हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2024 को दो महीने के भीतर नियमावली लागू करने का स्पष्ट आदेश दिया था, लेकिन सरकार की निष्क्रियता और बालू घाटों की नीलामी ने यह शाबित किया है कि हेमंत सरकार भी भाजपाई सरकार की तरह ही आदिवासी हितों के साथ विश्वासघात कर रहो है।

इससे स्पष्ट होता है कि दोनो भाजपाई और हेमंत सरकार कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने के लिए आदिवासियों की जमीन और संसाधनों की लूट को प्राथमिकता दे रही है।

श्री नायक ने आगे कहा कि हाईकोर्ट का बालू घाट नीलामी पर रोक का फैसला स्वागतयोग्य है, लेकिन यह सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है। पेसा नियमावली लागू न करना न केवल कोर्ट की अवमानना है, बल्कि आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा और अधिकारों का अपमान है। हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि आदिवासी और मूलवासी समाज अब और चुप नहीं रहेगा। हम अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरेंगे और हर मंच पर इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। सरकार तुरंत पेसा नियमावली लागू करे, वरना आदिवासी समाज इसका कड़ा जवाब देगा।”

विजय शंकर नायक ने झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश महोदय से अपील/अनुरोध किया कि उच्च न्यायालय के आदेश के अवमानना करने पर संबंधित सभी विभागो के सचिवो को तुरन्त जेल भेजे तब ही यह कुम्भकर्णी सरकार चेतेगी और पेसा कानून को अविलंब लागु करेगी क्योंकि सरकार के सचिव लोगो को न्यायालय का डर समाप्त हो चुका है ।

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