कथा के पांचवें दिन राजा हरिश्चंद्र की कथा का कराया रसपान

सत्य को जानना है तो राजा हरिश्चंद्र से सीखा जा सकता है- कथावाचक


अलीगंज।विकासखंड अलीगंज के ग्राम अमरोली रतनपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन सत्यवादी हरिश्चंद्र की कथा का रसपान किया गया और शाम को भगवान की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं को रासलीला का रसपान कराकर आरती व प्रसाद वितरित किया।

अलीगंज के ग्राम अमरोली रतनपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा एवं सप्ताहिक ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन सरस कथावाचक बाल व्यास हरीदास जी महाराज ने राजा हरिशचंद्र की कथा के प्रसंग सुनाए।

शास्त्री ने कहा कि सत्य को जानना है तो राजा हरिश्चंद्र से सीखा जा सकता है। सत्य के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया अपने पुत्र रोहित की मृत्यु पर अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी सेव्या रानी से शुल्क लिया, तब जाकर अंत्येष्टि की अनुमति दी। तब स्वर्ग से देवी देवताओं ने फूल बरसाए और कहा कि सतयुग धन्य है कि ऐसे राजा मिले।

ऐसा ही एक प्रसंग और है रात्रि में महाराजा हरिश्चंद्र ने स्वप्न देखा कि कोई तेजस्वी ब्राह्मण राजभवन में आया है। महाराजा हरिश्चंद्र ने स्वप्न में ही इस ब्राह्मण को अपना राज्य दान में दे दिया, जगने पर महाराज इस स्वप्न को भूल गए। दूसरे दिन महर्षि विश्वामित्र इनके दरबार में आए। उन्होंने महाराज को स्वप्न में दिए गए दान की याद दिलाई। ध्यान करने पर महाराज को स्वप्न की सारी बातें याद आ गई और उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया। ध्यान देने पर उन्होंने पहचान कि स्वप्न में जिस ब्राह्मण को उन्होंने राज्य दान किया था, वे महर्षि विश्वामित्र ही थे।

विश्वामित्र ने राजा से दक्षिणा मांगी, क्योंकि यह धार्मिक परंपरा है कि दान के बाद दक्षिणा दी जाती है। राजा ने मंत्री से दक्षिणा देने के लिए राजकोष से मुद्रा लाने को कहा, विश्वामित्र बिगड़ गए। उन्होंने कहा कि जब सारा राज्य तुमने दान में दे दिया है, तब राजकोष तुम्हारा कैसे रहा, यह तो हमारा हो गया। उसमें से दक्षिणा देने का अधिकार तुम्हें कहां रहा। महाराजा हरिशचन्द सोचने लगे।

विश्वामित्र की बात में सच्चाई थी, लेकिन उन्हें दक्षिणा देना भी आवश्यक था। वे यह सोच ही रहे थे कि विश्वामित्र बोले-तुम हमारा समय व्यर्थ ही नष्ट कर रहे हो, तुम्हें यदि दक्षिणा नहीं देनी है तो साफ कह दो, मैं दक्षिणा नहीं दे सकता, दान देकर दक्षिणा देने में आनाकानी करते हो, मैं तुम्हें शाप दे दूंगा। राजा हरिश्चंद्र की कथा का रसपान करने के बाद कथा की आरती व प्रसाद वितरण किया गया।

दिलीप सिंह मंडल ब्यूरो एटा उत्तर प्रदेश

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