आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक द्वारा प्रस्तावित रिम्स-2 का नाम झारखंड के महानायक, आदिवासियों, दलितों, गरीबों और वंचितों की आवाज, दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नाम पर रखने की मांग को झारखंड सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने का मंच हार्दिक स्वागत करता है। यह निर्णय न केवल झारखंड की अस्मिता और गौरव को मजबूत करता है, बल्कि दिशोम गुरु के ऐतिहासिक योगदान को अमर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपने जीवनकाल में जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया। उनकी प्रेरणा और नेतृत्व ने झारखंड को एक नई पहचान दी। रिम्स-2 को “शिबू सोरेन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SSIMS)” के रूप में नामित करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
विजय शंकर नायक ने यह भी कहा की हालांकि, मंच की दूसरी महत्वपूर्ण मांग है कि सिम्स-2 का निर्माण रांची के नगड़ी मौजा में प्रस्तावित उपजाऊ कृषि भूमि पर न किया जाए। नगड़ी की यह भूमि स्थानीय आदिवासी और मूलवासी किसानों की आजीविका का आधार है, और इसका अधिग्रहण न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि दिशोम गुरु के “हरवा तो जोतो न यार” के नारे और उनके द्वारा संरक्षित आदिवासी हितों के सिद्धांतों के खिलाफ है।
विजय शंकर नायक ने कहा कि पुनः मंच मांग करता है कि सिम्स-2 का निर्माण दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जन्मस्थान, रामगढ़ जिले के नेमरा में किया जाए। यह कदम न केवल उनकी जन्मभूमि को सम्मान देगा, बल्कि उनके द्वारा शुरू किए गए आंदोलन और आदिवासी अस्मिता को और सशक्त करेगा। नेमरा में सिम्स-2 का निर्माण स्थानीय समुदाय के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ रोजगार और विकास के नए अवसर भी लाएगा।
आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच झारखंड सरकार से आग्रह करता है कि वह इस मांग को गंभीरता से ले और नगड़ी की उपजाऊ कृषि भूमि को बचाते हुए सिम्स-2 का निर्माण नेमरा में करे। यह कदम दिशोम गुरु शिबू सोरेन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी और उनके आदर्शों को जीवित रखने में योगदान देगा।