रांची, झारखंड | दिनांक: 19 मई 2025
आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन में अनुसूचित जनजाति , अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों की भागीदारी नही मिलने पर तथा एक ही वर्ग के वर्चस्व होने पर अपनी प्रतिक्रिया मे कही ।
इन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में झारखंड क्रिकेट ऐसोसिऐशन के प्रशासनिक और नेतृत्वकारी पदों पर इन वर्गों का प्रतिनिधित्व नगण्य है ही नही ना के बराबर है जबकि झारखंड की जनसंख्या में आदिवासी- मूलवासी समुदायों का बड़ा हिस्सा है। यह असंतुलन न केवल सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि राज्य के क्रिकेट विकास में विविध प्रतिभाओं के योगदान को भी सीमित करता है।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि झारखंड, एक जनजाति-प्रधान राज्य है जहां आदिवासी मूलवासी समुदाय की आबादी लगभग 85% है और क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल में इन समुदायों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है जो चिंता का विषय है । झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के गठन और संचालन में अधिकांश पदों पर स्वर्ण जातियों का प्रभुत्व रहा है, जिसके परिणामस्वरूप नीति निर्माण और अवसरों के वितरण में असमानता देखी गई है।
उदाहरण के लिए प्रशासनिक पद झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के शीर्ष पद जैसे अध्यक्ष, सचिव, और चयन समिति में पिछले एक दशक में आदिवासी मूलवासी समुदाय से कोई उल्लेखनीय प्रतिनिधित्व नहीं रहा है। खिलाड़ियों का चयन: कई प्रतिभाशाली आदवासी और मूलवासी खिलाड़ी, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से उभरते तेज गेंदबाज और बल्लेबाज, कथित तौर पर पक्षपातपूर्ण चयन प्रक्रिया के कारण अवसरों से वंचित होते रहे हैं। कोचिंग और प्रशिक्षण, कोचिंग स्टाफ और अकादमियों में भी विविधता की कमी है, जिसके कारण इन समुदायों के युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा और मार्गदर्शन का अभाव रहता है।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच निम्नलिखित मांगें झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के समक्ष रखते हैं कि प्रशासन में आरक्षण नीति लागु हो और जीसीए प्रशासनिक और निर्णयकारी पदों पर ST, SC, और OBC समुदायों के लिए आरक्षण नीति लागू की जाए, जैसा कि सरकारी संस्थानों में लागू है।
उदाहरण के लिए, तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन ने हाल ही में समावेशी नीतियों को अपनाकर विविध समुदायों से प्रतिनिधित्व बढ़ाया है। पारदर्शी चयन प्रक्रिया खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र निगरानी समिति गठित की जाए, जिसमें सामाजिक विविधता को प्रतिबिंबित करने वाले सदस्य शामिल हों। उदाहरण के लिए, कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन ने ऑनलाइन चयन ट्रायल और वीडियो विश्लेषण को अपनाकर पक्षपात की शिकायतों को कम किया है।
इन्होने यह भी कहा कि ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में क्रिकेट अकादमियां एसटी ,एससी और ओबीसी बहुल क्षेत्रों में क्रिकेट अकादमियां स्थापित की जाएं, ताकि स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर मिले। उदाहरण के लिए, ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन ने जनजातीय क्षेत्रों में प्रशिक्षण शिविर शुरू किए, जिसके परिणामस्वरूप कई खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी तक पहुंचे। इन समुदायों के युवा खिलाड़ियों के लिए विशेष छात्रवृत्ति और मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की जाए।
उदाहरण के लिए, बीसीसीआई ने “प्रोजेक्ट टाइगर” के तहत वंचित समुदायों के लिए क्रिकेट प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया है झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा समावेशी क्रिकेट संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं, जिसमें विविध समुदायों के क्रिकेटरों की सफलता की कहानियां शामिल हों।इन मांगों को लागू करने से न केवल झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन में सामाजिक समावेश बढ़ेगा, बल्कि झारखंड के क्रिकेट में नई प्रतिभाएं उभरेंगी।
एसटी ,एससी, ओबीसी समुदाय के खिलाड़ी, जो अपनी शारीरिक क्षमता और सहनशक्ति के लिए जाने जाते हैं, तेज गेंदबाजी और फील्डिंग जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकते हैं। इन समुदायों के खिलाड़ी विविध तकनीकी कौशल के साथ रणजी ट्रॉफी और IPL जैसे मंचों पर झारखंड का नाम रोशन कर सकते हैं।
विजय शंकर नायक ने उदाहरण देते हुए कहा कि तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन ने ग्रामीण और वंचित समुदायों के लिए “क्रिकेट फॉर ऑल” पहल शुरू की, जिसके तहत एसटी, और एससी के खिलाड़ियों को विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दी जाती है।ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन ने जनजातीय क्षेत्रों में मोबाइल कोचिंग यूनिट शुरू की, जिसने कई एसटी,एससी खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
खिलाडियों के चयन और समावेशी नीतियों के कारण कर्नाटक ने विविध पृष्ठभूमि के खिलाड़ियों को मौका दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी रणजी टीम में संतुलित प्रतिनिधित्व देखा गया। इन्होने झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन , बीसीसीआई, और झारखंड सरकार से आग्रह करते हुए यह भी कहा कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और तत्काल कदम उठाएं। हम सभी क्रिकेट प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और मीडिया से अपील करते हैं कि वे इस अभियान का समर्थन करें, ताकि झारखंड का क्रिकेट समावेशी, विविध, और प्रतिनिधित्वपूर्ण बन सके।