देश-विदेश से पिंडदान करने आए लोग; स्वर्णकारों के द्वारा लगाए गए सेवा शिविर का ले रहे आनंद।

बिहार, गया जी। अतिथि देव भव: के तर्ज पर स्वर्णकार बंधुओ ने (पितृपक्ष का एक पवित्र स्थल) गया जी जैसे पवित्र स्थल पर देश-विदेश से पितृपक्ष में पिंडदान करने आए लोगों के लिए निशुल्क सेवा शिविर का आयोजन 7 सितंबर 2025 से आरंभ कर दिया है जो कि यह आयोजन 22 सितंबर 2025 तक चलेगा।

अखिल भारतीय स्वर्णकार संघ, बिहार राज्य स्वर्णकार संघ, गया जिला स्वर्णकार संघ, गया नगर स्वर्णकार कारीगर संघ एवं शकुंतला देवी ट्रस्ट के द्वारा संयुक्त रूप से गयाजी में नई सड़क स्वर्णकार मंदिर के पास रेलवे टिकट काउंटर के सामने एक निशुल्क सेवा शिविर लगाई गई है जहां देश-विदेश से आए पिंड यात्री इस सेवा का आनंद ले रहे हैं।

विदेशी यात्री इस शिविर से हर्षित होकर कहते हैं; दिस इस कॉल अतिथि देवो ऑफ़ इंडिया। इस सेवा शिविर में अल्पाहार जलपान की व्यवस्था की गई है। बताया जा रहा है कि यह शिविर बिगत 4 वर्षों से लगाया जा रहा है और आगे भी जारी रहेगा।

इस शिविर में प्रातः 5:00 बजे से अपराह्न 11:00 बजे तक सेवा दी जाती है। इसी तरह का एक शिविर बोधगया धर्मारण्य वेदी में लगाया गया है जहां प्रातः 5:00 से अपराह्न 2:00 बजे तक सेवा दी जाती है।

शिविर में प्रमुख रूप से बिहार राज्य सरकार संघ के उपाध्यक्ष सुदामा प्रसाद वर्मा, नवीन कुमार वर्मा गया जिला स्वर्णकार संघ संयोजक, अध्यक्ष अशोक कुमार स्वर्णकार, राजू सोनी सचिव, सुनील कुमार कोषाध्यक्ष, जुगनू कुमार बर्मा, धीरज कुमार वर्मा, रिंकू कुमार वर्मा, गुड्डू कुमार वर्मा, लाल वर्मा, चंदन वर्मा, संजय वर्मा, मगध प्रमंडल प्रभारी जवाहर प्रसाद वर्मा, श्याम सुंदर वर्मा उपाध्यक्ष, सत्येंद्र प्रसाद, विनोद प्रसाद समेत अन्य स्वर्णकार बंधु अपना समय देते हैं।

वहीं गया जिला स्वर्णकार संघ के संयोजक नवीन कुमार वर्मा ने मीडिया को बताया कि हमारे स्वर्णकार यात्रियों के लिए एक धर्मशाला का निर्माण कराया गया है जहां हमारे स्वर्णकार यात्रीगण पूरी सेवा निशुल्क ले सकते हैं धर्मशाला में किसी भी तरह की असुविधा होने पर गया जिला स्वर्णकार संघ के संयोजक नवीन कुमार वर्मा एवं अध्यक्ष अशोक कुमार स्वर्णकार से संपर्क करें जहां आपकी पूरी सहायता की जाएगी।

गौरतलब हो कि पितृपक्ष के दौरान गयाजी का अत्यधिक धार्मिक महत्व है क्योंकि यहाँ पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है, वे पितृ ऋण से मुक्त होते हैं, और 108 कुलों का उद्धार होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गयासुर नामक राक्षस को वरदान मिला था कि उस पर किया गया पिंडदान पितरों को जन्म-मरण के बंधन से मुक्त कर देगा और इसी कारण गया को “मोक्ष स्थली” भी कहा जाता है।

फल्गु नदी के किनारे और विष्णुपद मंदिर में पिंडदान का विशेष महत्व है। यह एक ऐसा समय है जब अपने पूर्वजों (पितरों) को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दौरान पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि श्राद्ध करने से पूर्वजों को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

(विशेष संवाददाता धनंजय कुमार 7857826506)

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