प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा एवं कांशीराम को (भारत रत्न) देने का कार्य करे -विजय शंकर नायक

रांची

उपरोक्त बातें आज संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव झारखंड छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को ईमेल पत्र भेजकर उक्त बातें कही। इन्होने यह भी कहा कि 03 जनवरी 1903 को जन्मे मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा भारतीय आदिवासियों और झारखंड आंदोलन के एक सर्वोच्च नेता थे साथ ही साथ एक जाने माने राजनीतिक ,पत्रकार, लेखक, संपादक शिक्षाविद और 1925 में ऑक्सफोर्ड ब्लू का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र पहले भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे उनके कप्तानी में 1928 के ओलंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया था श्री जयपाल सिंह मुंडा औपनिवेशिक भारत में सर्वोच्च सरकारी पद पर थे ।

श्री नायक ने आगे कहा कि जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासियों की बदत्तर स्थिति को देखकर इन्होंने आईसीएस की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आने का फैसला किया 1938 जनवरी में इन्होंने आदिवासी महासभा की अध्यक्षता ग्रहण की जिसने बिहार से एक अलग झारखंड राज्य की स्थापना की मांग की । देश में आदिवासियों के अधिकारों के आवाज बने और वे संविधान सभा के सदस्य भी बने और संविधान सभा में आदिवासियों के सवालों को मजबूती से उनके हक और अधिकार को उठाने का कार्य किया इन्होंने झारखंड पार्टी का गठन किया जो 1952-57 और 1962 में बिहार विधानसभा के चुनाव में भाग लिया और अच्छा प्रदर्शन भी किया आदिवासी समाज के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले इस महान आदिवासी नेता को भारत रत्न दिया जाना चाहिए और उनके किए गए कार्यों को भारत सरकार के द्वारा भारत रत्न देकर सम्मान किया जाना चाहिए।
श्री नायक ने अपने भेजे गये पत्र में आगे कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी इसी तरह मान्यवर कांशीराम एक भारतीय राजनीतिक और सच्चे समाज सुधारक थे जिनका जन्म पंजाब में 15 मार्च 1934 को हुआ था वह पुणे में विस्फोटक अनुसंधान कार्यालय में कार्यरत थे ।

वे जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए 1964 में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के दर्शन से प्रभावित होकर वह एक दलित कार्यकर्ता बनकर कार्य करने लगे और 1971 में अखिल भारतीय एससी-एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ की स्थापना की जो बाद में चलकर बामसेफ बना इसके बाद कांशीराम ने 1981 में एक और सामाजिक संगठन बनाया जिसे दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (डीएसएसएस) या bs4 के नाम से जाना जाता है ।

इन्होंने दलित वोट को इकट्ठा करने की अपनी कोशिश शुरू की और 1984 में इन्होंने बहुजन समाज पार्टी के स्थापना की उनका जीवन भर दलित शोषित समाज के लिए समर्पित रहा ऐसे में उनके समाज सुधार जैसे कार्यों को देखते हुए भारत सरकार के द्वारा उन्हें भारत रत्न देखकर उनके किए गए कार्यों को सम्मान किया जाना चाहिए ।

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