ग्रेटर जमशेदपुर निर्माण के रास्ते आसान नहीं : राम सिंह मुंडा

झारखंड, जमशेदपुर।

ग्राम पंचायतों को नगर परिषद में समाहित करने के लिए जमशेदपुर शहर से सटे ग्राम पंचायतों के मुखिया, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य वार्ड सदस्यों, सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं से भी आम विचार लेना चाहिए।

ग्रेटर जमशेदपुर के नाम पर नगर परिषद का गठन होने पर पंचायत क्षेत्रों में, पेसा कानून 1996 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में एकल पद “मुखिया पद” (अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है) पेसा कानून 1996 का खुलम खुला उल्लंघन होगा। जमशेदपुर के आस पास के ग्रामीण देख चुके हैं।

जुगसलाई नगर परिषद की व्यवस्था, नगर परिषद तो नरक परिषद हो चुका है। देना होगा होल्डिंग टैक्स, मकान बनाने के लिए लेना होगा अनापत्ति पत्र। सरकार चाहे तो समुचित विकास के लिए, शहर के आस पास के पंचायतों को दे सकती है स्पेशल फंड। पंचायतों को नगर परिषद में समाहित करने के लिए आमतौर पर

निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

1.प्रस्ताव: राज्य सरकार द्वारा पंचायतों को नगर परिषद में समाहित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जाता है।
2.विधायी प्रक्रिया : इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाता है, और विधायी प्रक्रिया के अनुसार प्रस्ताव पारित किया जाता है,श।
3.विधेयक : यदि आवश्यक हो तो विधानसभा में एक विधेयक पारित किया जा सकता है, जो पंचायतों को नगर परिषद में समाहित करने के लिए आवश्यक प्रावधानों को शामिल करता है।

महत्वपूर्ण बातें

# विधानसभा की भूमिका : विधानसभा की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य के कानूनों और नीतियों को आकार देती है।

# नगर परिषद की स्थापना : नगर परिषद की स्थापना और पंचायतों को इसमें समाहित करने के लिए आवश्यक कानूनी प्रावधानों का पालन करना होता है। इस प्रक्रिया में विधानसभा की भूमिका महत्वपूर्ण है, और प्रस्ताव पारित करने के लिए विधायी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।

आदिवासी सुरक्षा परिषद जमशेदपुर महानगर जिला प्रशासन के इस प्रस्ताव शहर के आसपास के पंचायत को मिलाकर ग्रेटर जमशेदपुर का विरोध करेगी। आदिवासी सुरक्षा परिषद पूरे झारखंड में पेसा कानून 1996 लागू करने के लिए प्रयासरत है।

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