प्रख्यात् रसायनविद् प्रो. हरित्मा चोपड़ा बनी मैत्रेयी महाविद्यालय की नियमित प्रधानाचार्या

कृष्ण चतुर्वेदी, दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने रसायन विज्ञान की परम विदुषी प्रो. हरित्मा चोपड़ा को मैत्रेयी महाविद्यालय का स्थाई प्रधानाचार्य नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति का समाचार मिलते ही समूचा मैत्रेयी परिवार जश्न में डूब गया। शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी हर कोई ढोल-नगाड़ों की धुन में थिरकते नज़र आए। सभी एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे थे।

गौरतलब है कि प्रो. चोपड़ा एक सुयोग्य प्रशासक, कुशल वक्ता एवं अत्यन्त विनम्र, मृदुभाषी स्वभाव की और अति कर्मठ लोकप्रिय प्रधानाचार्य हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे छात्राओं, शिक्षकों, अभिभावकों एवं अन्य सभी स्टॉफ की समस्याओं को सुनने और उसके समाधान के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। यही कारण है कि वह पूरे महाविद्यालय परिवार में अतीव लोकप्रिय हैं। उन्हें महाविद्यालय में सभी के द्वारा अत्यन्त आदर एवं सम्मान मिलता है।

उनकी लोकप्रियता का अन्दाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जिस दिन उनकी प्राचार्या के रूप में स्थाई नियुक्ति का समाचार मिला, पूरा महाविद्यालय परिवार उनके स्वागत के लिए अत्यन्त बेसब्री के साथ इन्तज़ार कर रहा था। वह जैसे ही महाविद्यालय में पहुंची, बधाई देने वालों का तांता लग गया। प्रत्येक विभाग के शिक्षकगण एवं महाविद्यालय में कार्यरत कर्मचारीगण उन्हें बधाई देने के लिए अपनी बारी का इन्तज़ार करते देखे गए। सभी ने पुष्पगुच्छ एवं गुलदस्ता देकर उनके प्रति अपने आदर एवं सम्मान का इज़हार किया। इस अवसर पर शिक्षकों ने जमकर ठुमके भी लगाए। पूरे महाविद्यालय में सर्वत्र हर्ष एवं उल्लास का महौल छाया हुआ है।

यहाँ यह भी बताते चले कि प्रो. चोपड़ा की गणना देश के उन चुनिन्दा प्राचार्यों में होती है, जो अपने दूरदर्शिता, पारदर्शिता के साथ अनुशासित एवं संतुलित निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। प्रो. चोपड़ा की प्रशासक के रूप में भूमिका अत्यन्त सराहनीय रही है। उनका प्रशासकीय कार्यकाल अनेकानेक अभूतपूर्व उपलब्धियों का साक्षी रहा है। उनके नेतृत्व में महाविद्यालय ने पहली बार नैक से ए++ ग्रेडिंग प्राप्त की तथा एनआईआरएफ रैंकिंग में 86वें स्थान से 35वें स्थान पर पहुंचने में सफल रहा है।

उनके कार्यकाल में ही लगभग 90 नियमित सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति हुई है। साथ ही इंडिया टुडे रैंकिंग में मैत्रेयी महाविद्यालय ने एक साल में सबसे तेजी से विकास करने वाला कॉलेज बना। यही नहीं उनके निर्देशन में मैत्रेयी महाविद्यालय स्टुडेंट्स युनियन का ऑनलाइन चुनाव सुसम्पन कराने वाला देश का पहला महाविद्यालय बना। साथ ही ऑनलाइन माध्यम से एलुमिनी मीट का आयोजन करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया।

कोरोना काल में जहॉं सर्वत्र जनजीवन अस्तव्यस्त एवं ठहर सा गया था, वहीं मैत्रेयी महाविद्यालय ने न केवल शिक्षण कार्यों का सुचारु संचालन किया अपितु असंख्य ऐसे कार्यक्रमों का ऑनलाइन क्रियान्वयन भी किया जिससे देश-दुनियां के किसी भी कोने में बैठे बहुसंख्यक विद्यार्थियों के साथ-साथ सामान्यजन भी अति लाभान्वित हुए।

प्रो. हरित्मा चोपड़ा सन् 1995 में मैत्रेयी महाविद्याल्य के ही रसायन विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में नितुक्त हुई थीं। वर्ष 2017 से लेकर अब तक वे मैत्रेयी महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या रही हैं। साथ ही इससे पहले वे महाविद्यालय की उपप्राचार्या का दायित्व भी निभाया था।

इस प्रकार उनके पास एक लम्बा प्रशासकीय अनुभव है। ध्यातव्य है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी और पीएचडी करने वाली प्रो. चोपड़ा का शोध स्वास्थ्य और पर्यावरण से संबंधित पहलुओं पर केंद्रित रहा है। उन्हें अपने शोध के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर), नई दिल्ली से फेलोशिप भी मिली है। उनके कई प्रकाशन हैं, जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुस्तक अध्याय, संपादित पुस्तक संग्रह और शोध पत्र शामिल हैं। प्रो. चोपड़ा यूजीसी और दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा गठित विभिन्न समितियों की बोर्ड सदस्य हैं। वे एनसीईआरटी, सीबीएसई, आईएलएलएल और एनआईएससीएआईआर जैसे सरकारी शैक्षिक निकायों के पैनल में भी हैं।

प्रो. चोपड़ा ने विभिन्न शैक्षिक स्तरों के पाठ्यक्रम के विकास और समीक्षा की अगुआई की है और मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की परियोजना सशक्त के साथ रसायन विज्ञान पाठ्यक्रम लेखकों के पैनल की सदस्य हैं। वे एनएएसी पियर रिव्यू कमेटी की भी सदस्य हैं। प्रो. चोपड़ा पीयर रिव्यूड रिसर्च जर्नल, वेंटेज एवं अतिलोकप्रिय सम्वेदना शोधपत्रिका की प्रधान संपादिका भी हैं।

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