विदेशी नागरिक का सफल संपूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण करने वाला कानपुर का पहला अस्पताल बना सत्या

– सत्या हॉस्पिटल में हुआ अफ्रीकी नागरिक कोम्बा का 40 से अधिक वर्ष तक चलने वाला जोड़ प्रत्यारोपण

– अगर सरकार सुविधा दे तो हो सकती है इंटरनेशनल मेडिकल टूरिज्म की शुरुआत

सुनील बाजपेई
कानपुर। उत्तर प्रदेश के इस अति संवेदन से महानगर कानपुर ने अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा के क्षेत्र में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। कानपुर में इंटरनेशनल मेडिकल टूरिज्म की शुरुआत अफ्रीका से हुई है ,जहां से आए एक नागरिक का यहां के सत्या हॉस्पिटल में सफल प्रत्यारोपण किया गया है।

एक पत्रकार वार्ता में यह जानकारी देते हुए देश के जाने-माने अस्थि रोग विशेषज्ञ और अपनी चिकित्सकीय दक्षता और विशेषज्ञता के बल पर अब तक हजारों लोगों को अपंगता का शिकार होने से बचाने के रूप में नया जीवन दे चुके डॉ एके अग्रवाल और सत्या हॉस्पिटल की डायरेक्टर देश की सुप्रसिद्ध स्त्री प्रसूति

रोग एवं बांझ विशेषज्ञ डॉ मनीषा अग्रवाल ने भारत के हित में इस अंतरराष्ट्रीय महत्व की इस सफलता का विवरण देते हुए बताया कि कुछ समय पहले पश्चिम अफ्रीकी देश सैरा लियोन से डॉक्टर ए के अग्रवाल के पास फोन आया कि वहां के कस्टम डिपार्टमेंट के मिस्टर कोम्बा मेडिकल परामर्श लेंगे। उन्होंने बताया कि विगत दस से अधिक वर्षों से वे चल नहीं पा रहे हैं। उनके कूल्हे में भीषण दर्द होता है। उनका बायां पैर छोटा हो गया है।

अफ्रीकी नागरिक कोम्बा ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में बताया कि उन्हें एम.सीएच. (ऑर्थो) एम.आई.जी. ओ.एफ. (जर्मनी), ए.ओ. (स्विट्ज़रलैंड) राष्ट्रीय विश्वविद्यालय अस्पताल (सिंगापुर), आर्थोस्कोपी फेलो, मेडवे केंट (यूके) स्टैनफोर्ड अस्पताल, कैलिफोर्निया (यू.एस.ए.) आर्थोपेडिक, आर्थोस्कोपी और संयुक्त प्रतिस्थापन सर्जन जर्सी अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डिग्रियों के बिरले धारक डॉ.ए के अग्रवाल के बारे में जानकारी गूगल से मिली थी। इसके बाद ही उन्होंने भारत में उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित सत्या हॉस्पिटल में इलाज करने का निर्णय लिया।

ओसीआई रेफ्रिजरेटेड नाभ द्वारा प्रमाणित सत्या हॉस्पिटल की निदेशक डॉक्टर मनीषा अग्रवाल ने बताया कि डॉक्टर ए के अग्रवाल द्वारा हजार से भी अधिक जोड प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि चार अंतराष्ट्रीय फ्लाइट्स बदल कर कोम्बा अफ्रीका से यहां होली के एक दिन पहले पहुंचे। उनका ऑपरेशन डॉक्टर ए के अग्रवाल व उनकी टीम ‌द्वारा किया गया। इसके लिए हर स्टेप पर डबल सुरक्षा रख कर, नए इंस्ट्रूमेंट्स, इंप्लॉट लेकर, उनके बाएं कूल्हे का सफल सम्पूर्ण प्रत्यारोपण किया गया। साथ ही उनके 4 सेंटिमीटर छोटा पैर को भी बराबर कर दिया गया। सबसे आधुनिक सेरेमिक इंप्लांट का इस्तेमाल किया गया। कोबा जी फुटबाल के खिलाड़ी हैं।

ये देखते हुए लार्ज हेड इस्तेमाल किया गया। किसी तरह का रीऐक्शन न हो इसलिए ऑटोलागोस ब्लड ट्रैन्स्फ्यूजन किया गया। उनकी मजबूत हड़डियों को देखते हुए नए। नई ड्रिल्ज़ इस्तेमाल की गयीं। अन्ततः दो घंटे चले इस विशेष ऑपरेशन का स्वागत सफलता ने किया। जिसके फल स्वरुप अफ्रीकी नागरिक श्री कोम्बा अगले दिन खड़े हो गए। जब दस वर्षों बाद दर्द रहित पैर को उन्होंने धरती माता पर रखा तो उनके आँखों में खुशी के आंसू थे। वे भाव विभोर थे। वे अपनी बेटी क्रिस को अफ्रीका फोन करके अपने ठीक हुए पैर को दिखा रहे थे। दोनों पिता व पुत्री खुशी से रो रहे थे।

आज वे एक हफ्ते के अंदर ही चलना शुरू कर चुके हैं। जल्द वे अफ्रीका वापस जाएंगे। उन्होंने बताया कि वहां बहुत लोग इनकी तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं कि हम भी भारत आएँ, कानपुर आएं व अपने जोड ठीक कराएं। अफ्रीकी नागरिक के इस सफल जोड़ प्रत्यारोपण ऑपरेशन वाली डॉक्टर ए के अग्रवाल की टीम में फिजियोथेरेपी के डॉक्टर आलोक कुमार, डॉक्टर हरी, देवेंद्र, अनस्थेसिया में डॉक्टर बवेजा, डॉक्टर रुचि शामिल रहीं। डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि चूंकि मरीज सात समंदर पार से आया है और बार बार उसका यहाँ आना सम्भव नहीं है। अतः 40 से अधिक वर्ष तक चलने वाला जोड़ प्रत्यारोपण किया है।

उन्होंने बताया कि विदेशियों के इस तरह के सफल ऑपरेशन से कानपुर में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल टुरिजम की शुरुआत हो सकती है। बशर्ते यहां ना केवल फ्लाइट्‌स की संख्या बढ़े
बल्कि टुरिस्ट प्लेसेज़ आदि सुविधाएँ विकसित हों तो जल्द कानपुर मेडिकल फील्ड में विश्व पटल पर आने की क्षमता रखता है।
वही सफल प्रत्यारोपण से लाभान्वित हुए पश्चिम अफ्रीका के नागरिक कोम्बा ने बताया कि वे इस ऑपरेशन के सफलता से बेहद प्रसन्न हैं। और अब वह अफ्रीका जाकर अपने नतीजे लोगों को बताएंगे, जिससे उनके देश के ज्यादा से ज़्यादा लोगों को फायदा मिल सके।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान सुप्रसिद्ध अस्थि रोग विशेषज्ञ अग्रवाल ने सरकार से इसके लिए जल्द वीजा दिए जाने की भी मांग की और दावा किया कि ऐसा करने से मेडिकल टुरिजम में बढ़ोत्तरी के साथ ही ना केवल विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा, वरन ब्रेन ड्रेन भी रुकेगा। जिससे भारत की साथ विदेश में पहले से और ज्यादा बढ़ेगी।

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