लू प्राकृतिक आपदाओं में साइलेंट किलर

हीट वेव जोखिम न्यूनीकरण के उपाय

जलवायु परिवर्तन एवं तापमान वृद्धि के कारण विश्व में गर्मी बढ़ रही है। भारत में भी एक गम्भीर मौसमी घटनाओं के रूप में उभरी है। लू के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। लू को प्राकृतिक आपदाओं में साइलेंट किलर के रूप में भी जाना जाता है। लु से बुजुर्ग, बच्चे गर्भवती महिलायें बीमार, मजदूर, झोपड़-पट्टी में रहने वाले और आश्रयविहीन और अधिक प्रभावित होते हैं। असंगठित और अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों को जोखिम उठाना पढ़ता है। गर्मी के बढ़ते मौसम में हीट वेव की स्थिति, शरीर के कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है। अगर प्रभावित व्यक्ति को तत्काल उचित उपचार न मिले तो व्यक्ति की स्थिति गम्भीर हो जाती है। गर्मी सहन करने की एक सीमा होती है। तापमान में कोई भी अत्यधिक परिवर्तन उत्पादकता को भी प्रभावित करता है। ऐसे में हीट वेव से बचाव एवं न्यूनीकरण के संबंध में तैयारियां एवं जानकारी आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कानपुर द्वारा एक कार्यशाल में बताया गया था कि तेज बुखार, लगातार उल्टी एवं दस्त लू का लक्षण होता है। ऐसा होने पर तौलिया/गमछा भिगोकर सिर पर रखें और चेहरा को पानी में कपड़ा भिगोकर पोछे। आम का पना, सत्तू का घोल एवं नारियल का पानी पीये।

ओ.आर.एस का घोल एवं ग्लूकोज भी नियमित रूप से पीयें। हीट वेव के प्रभावों को कम करने के लिये व्यक्ति को प्यास न लगने पर भी पानी पीते रहना चाहिए, ठंडक प्रदान करने वाले फलों व पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिये, तेज धूप होने पर बाहर न निकलें, अगर बाहर निकलना आवश्यक हो तो छाता, गमछा, पानी की बोतल साथ लेकर चलना चाहिए और उनका प्रयोग करना चाहिये। हीट वेव के दौरान बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिये।

यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह पानी की कमी का शिकार हैं। उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएँ। हमेशा पानी की बोतल अपने पास रखने के लिए कहें। पास में पानी उपलब्ध रहने पर लोग अनचाहे भी पानी पीते रहते है। किसी भी स्थिति में बच्चों या जानवर को बिना देखरेख के धूप में खड़ी वाहन में छोड़ कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।

लू से बचने के लिए पर्याप्त पानी पिएं, भले ही प्यास न लगे। खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए खरबूज, तरबूज, ककड़ी, खीरा, आदि मौसमी फलों का सेवन करें। बेल, सौफ, पोदीना, धनिया आदि के शर्बत तथा छांछ, ओआरएस, लस्सी, नींबू का पानी आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें। हल्के वजन, हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहनें।

गमछा, टोपी, छतरी आदि के द्वारा अपने सिर को ढकें। हाथों को साबुन और साफ पानी से बार-बार धोएँ। कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं। श्रमिकों को धूप से बचने को कहें। कठोर परिश्रम क्षेत्र भ्रमण करने वालों के लिए दिन के ठंडे समय में काम निर्धारित किया जाय। दोपहर 12.00 बजे से 3.00 बजे के बीच बाहर सीधा धूप में जाने से बचें। दोपहर में बाहर जाने पर कठोर परिश्रम वाली गतिविधियों से बचें।

धूप में नंगे पाँव न रहें। दिन में जब तापमान अधिक होता है, उस दौरान खाना पकाने से बचें। खाना पकाने के लिए हवादार, खुले दरवाजे और खिड़कियों वाले स्थान चुनें। शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय से बचे, जो शरीर को निर्जलित करता है। उच्च प्रोटीन वाले भोजन से बचें और बासी भोजन न करें।

जितना हो सके घर के अंदर रहे। अपने घर को ठंडा रखें। पर्दे, शटर या शेड का उपयोग करें और खिड़कियाँ खुली रखें। निचली मंजिलों पर रहने का प्रयास करें। पंखे का प्रयोग करें, कपड़ों को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें।

कच्चे आम के पने का भी उपयोग करें। यदि आप मिचली आने, गला सूखने तथा बुखार का प्रकोप, बेहोशी या कमजोरी महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
जहां तक संभव हो, तेज गर्मी के दौरान मवेशी को घर के भीतर रखें। जानवरों को किसी बंद आश्रय में न रखें। ध्यान रखें कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हो, उन्हें ताजा पीने का पानी दे, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें।

पीने के पानी के दो बर्तन रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें। अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें। किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहें। गर्मी से बेचैनी महसूस कर रहे हों तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें।

हीट वेव से बचाव के लिए सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित हो। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां छाया है जहां पर लोगों का ठहराव होता हो, का चिन्हांकन कर जगह-जगह पर पीने के पानी के लिए प्याऊ की व्यवस्था की जाये। पानी के खराब हैंडपंप की मरम्मत कर ली जाये। समूह की बैठक कर लोगों को हीट वेव के बारे में बताया जाये। साथ ही साथ उसके बचाव के संबंध में जानकारी दी जाये।

सभी विद्यालयों में पेयजल एवं पंखों की व्यवस्था सुनिश्चित हो। बच्चों को हीट वेव से बचने की ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जाये। अग्निशमन हर समय एक्शन मोड में रहें, जहां भी आगजनी की समस्या सुनने को मिले तत्काल कार्यवाही करें। जर्जर, टूटे हुए बिजली के खंभों को सही कर लिया जाये।

सभी गौशालाओं में गायों के लिए पानी, छाया और हरा चारा व भूसे की पर्याप्त व्यवस्था, घायल व बीमार गौवशों के उपचार की समुचित व्यवस्था कर ली जाये। स्थानीय मौसम की विष्वसनीय जानकारी के लिए समाचार-पत्र पढ़ें, रेडियो सुनें, टीवी देखें। ग्रामीण क्षेत्रों में लू से बचने व बचाने के सम्बन्ध में व्यापक प्रचार-प्रसार का प्रबन्ध हों। इससे हम लू से बचाव और जोखिम को कम कर सकते है।
डॉ नन्दकिशोर साह

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