29 सितंबर ह्दय दिवस पर विशेष

ह्रदय दिवस के बहाने… चलो दिल से कुछ गुफ्तगू कर लें !

साधना सोलंकी ” राजस्थानी”
चलो दिल से कुछ गुफ्तगू करलें… सेहत से नाता क्या, जुस्तुजू करलें… धड़कता है क्यों भला, और रुकता है क्यों!

आज ह्रदय यानी दिल की बहुआयामी चर्चा का दिन विशेष है…कितनी कहावतें…कितने किस्से इसके इर्द गिर्द छाए रहते हैं। ये धड़के तो जिंदगी गुलजार है और थम जाए तो आगे परमात्मा का द्वार है! बहरहाल बंदा उम्र पूरी कर ईश्वर के दरवाजे दस्तक दे, तो यह सहज जीवन की अपेक्षित गति है…पर बाली उम्र में ही गच्चा दे जाए यानी हार्ट अटैक पड़ जाए और सांसे थम जाएं तो यह अस्वाभाविक है और इसके पीछे कारण भी किस्म किस्म के हैं। खान पान, जीवन जीने का तरीका, जलवायु, वातावरण और सबसे बढ़कर जीवन के प्रति हमारा नजरिया, हमारी संवेदना! तो…ऐसा क्या करें कि ह्रदय की गति असमय ना थमे, निर्बाध चलती रहे और जीवन सरिता बहती रहे! क्योंकि धड़कनों का अनायास थम जाना जाने वाले के मित्रों, परिजनों पर पीड़ा का जो असर छोड़ता है… वह भी इस दिले नादां के लिए समस्या का सबब है!

सेहत से नाता क्या, जुस्तुजू करलें...

बकौल शायर…
बहुत शोर सुनते थे, पहलू में दिल का…
जो चीरा तो कतरा ए खून निकला !
कहने को कतरा ए खून है यह दिल, यह ह्रदय…या हार्ट!
पर, जमाने को सिर पर उठाए हैं
जनाब!क्या नाता है दिल और मन का…

ब्लड सप्लाई का पम्पिंग स्टेशन
-दिल यानी लहू का कतरा…कह सकते हैं ह्रदय शरीर को रक्त सप्लाई करने वाला मात्र पम्पिंग स्टेशन है!
-भाव यानी मन का दिल से कोई लेना देना नहीं… इसका कोई जैविक अस्तित्व नहीं। यह मस्तिष्क का सीईओ है, जो सोचता है और उसके अनुसार कार्य करवाता है।
-सेहत का सारा खेल सोच यानी नजरिए से जुड़ा है। सोच सकारात्मक तो सेहत भी अच्छी… सोच नकारात्मक तो सेहत की, ह्रदय की हानि!
गुस्सा सेहत का बैरी…रक्त प्रवाह को बढ़ाने वाला यानी उस पर कार्य भार बढ़ाने वाला, जो आगे चलकर ह्रदय के लिए घातक हो सकता है।
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वर्ल्ड हार्ट डे एक वैश्विक अभियान है, जिसकी मदद से लोगों को यह बताया जाता है कि हार्ट संबंधी बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है। हर साल इस दिन को एक स्पेशल थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है।
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सदियों से लोग अपने दिलों को सोच, भावनाओं और प्यार और गुस्से जैसी भावनाओं से जोड़ते आए हैं। हृदय हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है जो हमारी सोच प्रक्रियाओं और भावनाओं में होने वाले परिवर्तनों पर लगभग तुरंत प्रतिक्रिया करता है। याद रखें, जब आप चिंतित या भयभीत महसूस करते हैं तो दिल की धड़कनें और तेज़ धड़कनें होती हैं या जब कोई प्यार में होता है तो दिल का दौड़ना और मीठा-मीठा दर्द होता है। तो संक्षेप में, यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारा दिल हमारे मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से निकटता से जुड़ा हुआ है। तनाव, चिंता और अवसाद अगर लंबे समय तक अनियंत्रित और अनुपचारित रहें तो हृदय स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।
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जिंदगी का स्वागत मुस्कुरा कर कीजिए!
-सात्विक भोजन को प्राथमिकता दीजिए!
-भरपूर नींद, भरपूर मशक्कत के संग खुशमिजाजी अपना लीजिए!

-माना…दौर मुश्किलों से भरा है!
पर सबर कर दिल और जरा ठहर… जब खुशी ही न ठहरी…तो गम की क्या औकात है!
साधना सोलंकी ” राजस्थानी”

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