पूर्वी सिंहभूम। जिला व्यवहार न्यायालय परिसर के बार भवन के भूतल हॉल में भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का आदमकद चित्र का अनावरण वकील समुदाय के द्वारा किया गया।
मौके पर प्रस्ताव पारित हुआ कि देश के सभी न्यायालय परिसर में संविधान सभा के तत्कालीन सभापति डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा, सभापति डॉ राजेंद्र प्रसाद, प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबा साहब अंबेडकर अथवा राज्य विशेष से संविधान सभा में शामिल माननीय सदस्यों की भव्य आदमकद प्रतिमा लगाई जाए। जिससे वर्तमान एवं नई पीढ़ी को देश की आजादी के आंदोलन एवं संविधान के निर्माण में हमारे महान नेताओं के योगदान की तथ्य परक जानकारी मिल सके।
इस संदर्भ में समाजवादी चिंतक अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि आदिवासियों का हक हकूक को सुरक्षित करने का कार्य जयपाल सिंह मुंडा ने किया था, उनकी प्रतिमा झारखंड के चुनिंदा जिला अथवा अनुमंडल न्यायालय में लगाई जानी चाहिए।
वकीलों ने डॉक्टर साहब के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारत में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को न्याय, समानता तथा महिलाओं के आत्म स्वाभिमान की रक्षा एवं गैर बराबरी को खत्म करने में शानदार भूमिका रही है। उक्त अवसर पर अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा भीमराव रामजी आम्बेडकर भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक व समाज सुधारक थे।
जिन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था; एसे महान व अजूबा शख्स की जयंती हम सब आगामी 14 अप्रैल को धूमधाम से मनाएंगे। वहीं पिछले 53 सालों से सेवा दे रहे बार एसोसिएशन कार्यालय कर्मी सुशांत नामता भोंदू को विशेष तौर पर माला पहना एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
मौके पर झारखंड राज्य बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल, पूर्व सदस्य प्रकाश झा, बार एसोसिएशन अध्यक्ष रथीन्द्र नाथ दास, पूर्व अध्यक्ष मनोरंजन दास, पूर्व अध्यक्ष तापस मित्रा, पूर्व लोक अभियोजक पीएन गोप, पूर्व अभियोजन पदाधिकारी जगत विजय सिंह, रतन चक्रवर्ती, मो कासिम, देवेंद्र सिंह, बोलाई पांडा, अभय कुमार सिंह, मलकीत सिंह सैनी, त्रिलोकी नाथ ओझा, नोटरी ओम प्रकाश सिंह, अक्षय झा, बबीता जैन, गणेश टुडू, जेकेएम राजू, रामजीत पांडेय, राहुल राय, नरेंद्र सिंह, राहुल प्रसाद, सुनील महतो, पवन कुमार, कुलविंदर सिंह, श्रीकांत सिंह, निशांत सिंह, नन्द कुमार राय आदि उपस्थित रहे।