संतकबीरनगर ।मेंहदूपार में चल रहे शतचण्डी महायज्ञ में शुक्रवार की रात ओनियेश्वर महादेव आदर्श रामलीला मंडली के कलाकारों ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया। मुनि विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण भी स्वंयवर में पहुंचे जिन्हें देख सभी मोहित हो गए। इसी बीच बिन बुलाए लंकापति रावण आ पहुंचा। इस पर सभापति बाणासुर परिचय पूछता है तो वह क्रोधित हो उठता है फिर यहीं से रावण-बाणासुर संवाद शुरू होता है। रावण-बाणासुर संवाद सुन दर्शक रोमांचित हो गए।
मेंहदूपार में आयोजित शतचण्डी महायज्ञ रामलीला में शुक्रवार की रात सीता स्वयंवर का आयोजन किया गया। शिव धनुष तोड़ने के लिए वीर योद्धाओं का जमावड़ा लग जाता है। इसी बीच रावण भी स्वयंवर में पहुंच जाता है। और राजा जनक से निमंत्रण न देने का कारण पूछता है तो वह उत्तर देते हैं कि समुद्र पार होने के कारण आमंत्रण नहीं भेज सके थे। इस पर रावण आग बबूला हो जाता है और कहता है कि यदि पत्र समुद्र में डाल दिया होता तो वह भी उसके पास पहुंच जाता। रावण-बाणासुर संवाद देख दर्शक रोमांचित हो उठे। इसके बाद सीता स्वयंवर में पधारे वीर योद्धा शिव धनुष उठाने का प्रयास करते हैं शिव धनुष उठाना तो दूर कोई उसे हिला भी नहीं सका। इसके बाद राजा जनक की चिंता बढ़ जाती है। इसी के साथ रामलीला का समापन होता है। जय श्रीराम के जयघोष से पंडाल गुंजायमान हो उठता है। इस अवसर पर मनीष शुक्ला, मनोज साहनी, कन्हैया वर्मा, काली प्रसाद ,बैंकटेश्वर, विनोद, शेखर दास, रणजीत आदि क्षेत्र के लोग मौजूद रहे।