मुख्य अतिथि के रूप में परशुराम कुशवाहा
बहराइच रामगांव ।मुकेरिया 5 अप्रैल प्रथम बार मुकेरिया में आयोजित हुआ सम्राट अशोक महान की जयंती जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में परशुराम कुशवाहा पहुंचे । पहुंचने के बाद परशुराम कुशवाहा ने सम्राट अशोक व चंद्रगुप्त मौर्य के फोटो को पुष्प अर्पित किया और उन्हें नमन किया और जयंती में पहुंचे सभी लोगों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
सभा को संबोधित करते हुए परशुराम कुशवाहा ने सम्राट अशोक महान के बारे में उन्होंने जानकारी दी।
सम्राट अशोक (ईसा पूर्व 304 – ईसा पूर्व 232) प्राचीन भारत के मौर्य राजवंश के तीसरे सम्राट थे। उनका शासनकाल लगभग 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक चला।
अशोक का साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग पर फैला हुआ था, जो वर्तमान अफगानिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक विस्तृत था।
अशोक को भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली सम्राटों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म को बढ़ावा दिया और उसका प्रसार किया। कलिंग युद्ध में भारी रक्तपात देखने के बाद, अशोक ने युद्ध और हिंसा का त्याग कर दिया और धम्म (धर्म) के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
सम्राट अशोक महान के प्रमुख कार्य:
बौद्ध धर्म का प्रसार: सम्राट अशोक महान ने बौद्ध धर्म को राजकीय धर्म बनाया और इसे भारत और विदेशों में फैलाने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका सहित कई देशों में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजा।
शिलालेख और स्तंभ:
सम्राट अशोक महान ने अपने विचारों और धम्म के सिद्धांतों को लोगों तक पहुंचाने के लिए पूरे साम्राज्य में शिलालेख और स्तंभ स्थापित करवाए। ये अशोक के शिलालेख और अशोक स्तंभ भारतीय इतिहास और कला के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। सारनाथ का सिंह शीर्ष भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, जो अशोक के स्तंभ से ही लिया गया है।
जन कल्याण के कार्य:
सम्राट अशोक महान ने अपने साम्राज्य में सड़कों का निर्माण करवाया, कुएँ खुदवाए, धर्मशालाएँ बनवाईं और मनुष्यों और जानवरों के लिए अस्पताल खुलवाए। उन्होंने प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य किए।
धम्म की नीति: सम्राट अशोक महान ने ‘धम्म’ की नीति अपनाई, जो सहिष्णुता, अहिंसा, सत्यनिष्ठा और सभी धर्मों के प्रति सम्मान पर आधारित थी। उन्होंने अपने अधिकारियों को धम्म के सिद्धांतों का पालन करने और उन्हें लोगों तक पहुंचाने का आदेश दिया।
सम्राट अशोक महान का शासनकाल शांति, समृद्धि और धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाना जाता है। उनके द्वारा स्थापित किए गए शिलालेख और स्तंभ आज भी उनके महानता और उनके धम्म के संदेश के साक्षी हैं।
सम्राट अशोक महान की जयंती में -सम्राट अशोक सेवा समित अध्यक्ष रणधीर सिंहकुशवाहा, लाल विहारी सिंह कुशवाहा, ग्राम प्रधान मनीष गौंड , देवेंद्र सिंह कुशवाहा मुकेरिया ,दरोगा सिंह कुशवाहा सिसैया चक पूर्व प्रधान ,नन्हेलाल लोधी,कमाता प्रसाद मौर्य ( अध्यक्ष चंद्रगुप्त सेवा संस्थान बहराइच), निवासी पयागपुर,राम नरेश मौर्य (वर्तमान प्रधान मिर्जापुर),रामचंद्र मौर्य (वर्तमान प्रधान मुंगेरिया),महंत मौर्य भोगजोत (पूर्व प्रधान )अनिल मौर्य (पयागपुर), रमेश मौर्य (रामगांव पूर्व प्रधान)
सम्राट अशोक सेवा समित , जय प्रकाश सिंह कुशवाहा , लाल मोहर सिंह कुशवाहा ,
पूर्णानंद कुशवाहा,गोपाल कुशवाहा ,अभिषेक मौर्य,सोनू मौर्य ,अवधेश कुमार ,मिथलेश कुशवाहा,रोशन सिंह कुशवाहा और ग्रामवासी मौजूद रहे।