डोमिसाइल आंदोलन वीर शहीदों के सपने 22 वर्षो के बाद भी अधूरे है l माय माटी की बात करने वाले हेमंत सरकार उन सपनों को पूरा करे अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने होंगे -विजय शंकर नायक

उपरोक्त बातें आज झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व प्रत्याशी हटिया विधानसभा क्षेत्र विजय शंकर नायक ने आज डोमिसाइल आंदोलन में आज से 22 वर्ष पूर्व शहीद हुए वीर संतोष कुंकल ,कैलाश कुजूर, विनय तिग्गा के शहादत अवसर पर आज माल्यार्पण कर उक्त बातें कहीं ।

इन्होंने यह भी कहा कि यह आक्रोश का विषय है के पूर्ववर्ती भाजपा झामुमो कांग्रेस राजद गठबंधन की सरकारों ने झारखंड के आदिवासी मूलवासी समाज के भावनाओं का सम्मान देने का काम नहीं किया और आज तक जो राज्य निर्माण के समय झारखंड के झारखंडी समाज के द्वारा जो देखे गए सपने थे की अबुवा दिशुम अबुआ राज यानी अपना प्रदेश अपना राज्य में झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज का उत्थान होगा उनका हरेक क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित होगी मगर दुर्भाग्य कि पूर्व के सभी सरकारों में झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज के लोगों के सपनों के साथ छलने का काम किया सिर्फ वोट लेकर सत्ता का मलाई खाने का काम किया मगर उनके देखे गए सपनों को पूरा करने का काम किसी भी सरकारो ने नहीं किया ।

विजय शंकर नायक ने शहादत दिवस समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा की इन 22 वर्षों में जिन मूल्यों की एवं सिद्धांतों पर स्थानीय नीति एवं स्थानीय नियोजन नीति के लिए हमारे शहीदों ने शहादत देने का काम किया उनके शहादत को हम उनके बलिदान को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे और आने वाला समय में अगर सरकारों ने हमारे स्थानीय नीति स्थानीय नियोजन नीति पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया तो पार्ट टु डोमिसाइल आंदोलन राज्य में पूनः फिर से खड़ा किया जायेगा और उस आंदोलन को कोई समाप्त करने की दिशा में कोई भी सरकार सफल नहीं होगी जब तक की स्थानीय नीति नियोजन नीति को लागू नहीं किया जाता ।

विजय शंकर नायक ने तमाम दलित आदिवासी
मूलवासी संगठनों से यह भी अपील किया की छोटे-छोटे मंच छोटे-छोटे संगठन बनाने से झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज का भला कदापि नहीं होने वाला है इसलिए तमाम झारखंडी विचारधारा एवं तमाम झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी के हितों की रक्षा करने की बात करने वाली संगठन एक मंच में आए और एक नए सिरे से फिर से झारखंड के मे झारखंडी समाज के हक औरअधिकार की लिए आंदोलन करने का काम करें तभी झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज का भला हो सकता है

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