सरकार हठधर्मिता छोड़े: नगड़ी के आदिवासी-मूलवासी रैयतों की भावनाओं और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्षों का सम्मान करे – रिम्स-2 का निर्माण कृषि भूमि पर न हो -विजय शंकर नायक

स्थान: रांची, झारखंड

रैयतों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस – अंग्रेजी राज भी शर्मसार!

आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष-सह-पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने नगड़ी में रिम्स-2 के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आदिवासी-मूलवासी रैयतों पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पर आज अपनी प्रतिक्रिया मे कही । इन्होने आगे कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार से हमारी अपील है कि नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-2 (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का विस्तार) के लिए आदिवासी-मूलवासी रैयतों की उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण तत्काल रोका जाए।

यह कदम न केवल स्थानीय समुदाय की आजीविका को नष्ट करेगा, बल्कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के दशकों के संघर्ष और आदिवासी अधिकारों की भावना का अपमान भी है। सरकार को अपनी जिद छोड़कर वैकल्पिक गैर-कृषि भूमि का नेमरा मे चयन करना चाहिए।

विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ आदिवासी मूलवासी के रैयतो की भूमि की रक्षा करने का ढोंग कर रही है । वर्ष 2016 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नगड़ी के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ रैयतों के आंदोलन का समर्थन किया था और वैकल्पिक स्थानों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद, आज तक कुछ नही किया गया ।

इन्होने यह भी कहा कि
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का इतिहास भी भूमि और आदिवासी मूलवासी अधिकारों की रक्षा से भरा पड़ा है। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने नगड़ी और आसपास के क्षेत्रों में “भूमि बचाओ आंदोलन” चलाया था। हजारों रैयतों ने रांची में प्रदर्शन किया, जिसके बाद सरकार को अधिग्रहण की प्रक्रिया रोकनी पड़ी थी मगर हेमंत सोरेन की सरकार शिबू सोरेन का सपनो को पैरो तले कुचलने का कुत्सित प्रयास कर रही है जिससे आज उनकी विरासत पर खतरा मंडरा रहा है।

विजय शंकर नायक ने आज, नगड़ी में रिम्स-2 के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आदिवासी-मूलवासी रैयतों पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। इस क्रूर कार्रवाई में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग घायल हुए। यह दृश्य इतना अमानवीय था कि अंग्रेजी शासन के दमनकारी तरीके भी इसके सामने फीके पड़ जाएं। यह दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सपनों का झारखंड नहीं है, जहां रैयत अपनी ही जमीन बचाने के लिए सड़कों पर लाठी खाए।

हमारी मांगें:

1. नगड़ी में रिम्स-2 के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण तत्काल रोका जाए।
2. प्रदर्शनकारियों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं और घायलों को तुरंत मुआवजा दिया जाए।
3. रिम्स-2 के लिए गैर-कृषि भूमि का चयन कर शिबू सोरेन के संघर्षों का सम्मान किया जाए और इसे नेमरा की धरती मे बना कर दिशोम गुरु शिबु सोरेन के नाम किया जाए।
4. सरकार शिबु सोरेन के ऐतिहासिक वादों का सम्मान करे।

यदि सरकार ने हमारी मांगों को अनसुना किया, तो आदिवासी-मूलवासी रैयत बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेंगे। हम अपनी जमीन और सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।

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