रांची
उपरोक्त बाते आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड के राज्यपाल महोदय/मुख्य मंत्री,/मुख्य सचिव को पत्र लिख कर यह चेतावनी दी है । इन्होने यह भी कहा कि यह पत्र न केवल एक स्मरण पत्र है, बल्कि आपके द्वारा किए गए वादों की धज्जियां उड़ाने वाली आपकी सरकार की लापरवाही एवं विश्वासघात पर एक कड़ा प्रहार है।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि माननीय मुख्य मंत्री जी आपको याद होगा कि आपने अपने मुख्य मंत्री पद ग्रहण करने के समय एवं विभिन्न सार्वजनिक सभाओं में बार-बार घोषणा की थी कि आदिवासी एवं मूलवासी समाज के बेरोजगार युवाओं को ठेकेदारी के कार्यों (जैसे निर्माण, विकास योजनाओं एवं सरकारी ठेकों) में आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
यह वादा झारखंड के मूल निवासियों के सशक्तिकरण एवं रोजगार के अधिकार को मजबूत करने का प्रतीक था। आदिवासी समाज, जो झारखंड की लगभग 26% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है एवं मूलवासी जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर हैं, लंबे समय से सरकारी योजनाओं के ठेकेदारी कार्यों में बहिष्कृत हैं। बाहरी ठेकेदारों एवं गैर-मूल निवासियों द्वारा इन अवसरों पर कब्जा जमाए जाने से हमारे युवा भटकाव की ओर धकेल दिए गए हैं। आपका यह वादा हमें उम्मीद की किरण लगी थी, लेकिन आज, 12 सितंबर 2025 तक, एक भी कदम नहीं उठाया गया। यह न केवल वादाखिलाफी है, बल्कि आदिवासी-मूलवासी समाज के साथ एक घोर अन्याय एवं अपमान भी है!
विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि यह कैसी सरकार है जो अपने ही लोगों को आर्थिक समृद्धि से लटका कर रखती है? क्या यह आपकी और विर दिशोम गुरु जी की पार्टी जेएमएम की प्राथमिकताएं हैं कि बाहरी पूंजीपतियों एवं ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए आदिवासी मूलवासी युवाओं का भविष्य दांव पर लगाया जाए? झारखंड की मिट्टी से निकले युवा, जो बेरोजगारी की चपेट में तड़प रहे हैं, आपके वादों पर भरोसा करके इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बदले में मिला है केवल निराशा एवं धोखा।
यह लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित उपेक्षा है, जो आदिवासी मूलवासी समाज को हाशिए पर धकेलने का प्रयास है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे! यदि तत्काल ठेकेदारी कार्यों में एसटी/एससी और मूलवासी समाज को नियुक्त की तरह को 50 % आरक्षण लागू नहीं किया गया, तो मंच पूरे राज्य में आंदोलन छेड़ देगा, जो आपकी सरकार के लिए कलंक साबित होगा।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि देश के, अन्य राज्य कैसे अपने आदिवासी एवं दलित मूलवासी भाइयों के प्रति संवेदनशील हैं। उदाहरण के तौर पर:
– ओडिशा राज्य:यहां ठेकेदारी एवं निर्माण कार्यों में एसटी/एससी को 20% आरक्षण प्रदान किया जाता है। राज्य सरकार की ‘ओडिशा कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट’ के तहत ठेकेदारों को अनिवार्य रूप से आरक्षित कोटा में आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता देनी पड़ती है, – छत्तीसगढ़ राज्य: यहां ‘छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग’ के नियमों के अनुसार, सरकारी ठेकों में एसटी/एससी उपठेकेदारों को 25% आरक्षण दिया जाता है। – केंद्रीय स्तर पर: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 2018 में ही निर्देश जारी किए थे कि ठेकेदारी एवं अंशकालिक सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी/ओबीसी को आरक्षण अनिवार्य हो। हम मांग करते हैं:
1. ठेकेदारी कार्यों में एसटी/एससी मूलवासी को 50% आरक्षण की तत्काल अधिसूचना जारी करें।
2. बेरोजगार आदिवासी युवाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण एवं पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करें।
3. पिछले वादों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करें।
यदि 15 दिनों के अंदर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई, तो मंच राज्यव्यापी प्रदर्शन एवं कानूनी कदम उठाएगा। आदिवासी समाज का धैर्य अब सीमा पर है।