पूर्णिया मे पांच आदिवासी को अमानवीय तरीके से जलाने की घटना ने बिहार सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता चेहरा को उजागर किया है विजय शंकर नायक

दिनांक: 08 जुलाई 2025

पूर्णिया मे पांच आदिवासी को अमानवीय तरीके से जलाने की घटना ने बिहार सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता चेहरा को उजागर किया है । यह घटना बिहार सरकार की विफलता और आदिवासियों के प्रति उनकी उदासीनता का जीवंत प्रमाण है ।

पूर्णिया जिले में एक ही आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों को अंधविश्वास के नाम पर जिंदा जलाने की दिल दहलाने वाली घटना न केवल मानवता पर कलंक है, बल्कि यह बिहार की भाजपा गठबंधन सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता को भी उजागर करती है। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने इस जघन्य अपराध की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इस घटना को आदिवासी समाज के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा मानता है।

इस सम्बंध में आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री विजय शंकर नायक ने बिहार सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “यह घटना बिहार सरकार की विफलता और आदिवासियों के प्रति उनकी उदासीनता का जीवंत प्रमाण है। भाजपा गठबंधन सरकार आदिवासियों को केवल वोट बैंक के रूप में देखती है, लेकिन उनकी सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती। पूर्णिया की यह घटना पहली नहीं है; आदिवासी समाज लगातार अत्याचार, शोषण और हिंसा का शिकार हो रहा है, और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।”

श्री नायक ने आगे कहा, “डायन-बिसाही जैसे अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली मानसिकता को खत्म करने के लिए सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए। यह घटना आदिवासी समाज के खिलाफ गहरी साजिश का हिस्सा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम मांग करते हैं कि इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच हो, दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा व सुरक्षा प्रदान की जाए।”

आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच इस घटना के खिलाफ पूरे बिहार में आंदोलन तेज करने की घोषणा करता है। हम आदिवासी समाज के हक और सम्मान की रक्षा के लिए सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेंगे। बिहार सरकार को चेतावनी दी जाती है कि यदि आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार बंद नहीं हुए, तो मंच व्यापक स्तर पर जनआंदोलन शुरू करेगा।

हम सभी सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों और न्यायप्रिय नागरिकों से अपील करते हैं कि वे इस अमानवीय घटना के खिलाफ आवाज उठाएं और आदिवासी समाज के साथ एकजुटता दिखाएं।

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