मन की उड़ान साहित्यिक मंच का एम डी डी बाल भवन प्रांगन करनाल में हुआ दूसरा शाम -ए-ग़ज़ल कार्यक्रम

कृष्ण चतुर्वेदी(करनाल/हरियाणा)

मंच पर हुआ वरिष्ठ शायर ओम प्रकाश ‘उल्फ़त’ की पुस्तक शाम-ए-ग़ज़ल का विमोचन।

मन की उड़ान साहित्यिक मंच करनाल द्वारा एम डी डी बाल भवन के प्रांगन में मंच के दूसरे कार्यक्रम शाम-ए-ग़ज़ल का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर जनाब ओम प्रकाश ‘उल्फ़त’ ने की, वशिष्ठ अतिथि एम डी डी आफ इंडिया के सी ईओ सुरेन्द्र सिंह मान व अतिथि मारिया डीमा रोमानिया रही। मंच पर शायर ओम प्रकाश ‘उल्फ़त’ की पुस्तक शाम-ए-ग़ज़ल का विमोचन भी किया गया जिसमें वरिष्ठ शायर उल्फ़त द्वारा बेहतरीन ग़ज़ले लिखी गई हैं, मंच द्वारा कार्यक्रम अध्यक्ष व अतिथियों को शाल व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

काव्य धारा की शुरुआत सरस्वती वंदना से कुमारी खुशबू ने की, वरिष्ठ शायर जनाब ओम प्रकाश ‘उल्फ़त’ ने कहा लगी है प्यास तो फिर रेत निचोड़ें आओ, यहां के पानीयों पे बहुत सख्त पहरे हैं, वशिष्ठ अतिथि सुरेन्द्र सिंह मान ने कहा साहित्य समाज का दर्पण है रचनाकार कवि समाज की व्यथा को अपने शब्दों में पिरोकर जनता के हित की बात करता है नये रचनाकारों को उन्होंने शुभकामनाएं दी,अतिथि मारिया डीमा रोमानिया ने मंच का आभार जताया और कहा काव्य गोष्ठी में आकर बहुत अच्छा लगा

जिससे भारत की संस्कृति छलकती है,रामेश्वर देव ने कहा वो जिसको मैंने ज़िंदगी में फूल सौंपे थे,आज उसने अपने शब्दों का खंजर बना डाला, गुलाब सिंह फक्कर ने कहा नफ़रत के काबिल भी नहीं मैं,तुम कहते हो प्यार कर लूं, सुषमा चौपड़ा ने कहा शुक्रगुजार हैं मौला कि ज़िंदगी बख़्सी है तूने और उस पर कमाल ये है कि हमें ख़ुदा से मिला दिया तूने, संजोत सिंह ने कहा खिलौने ख़्वाबों में आया करते थे, यूं अपने मन को समझाया करते थे, गुरविंदर कौर गुरी ने कहा बाबा ! मुझे इतनी जल्दी न बयाहाना,तेरे आंगन की किलकारी हूं, गुरमीत पाढा ने कहा कोई ख्वाइश तेरी अधूरी न रहे,कि हमारी याद जरूरी न रहे,मनोज मधुरभाषी ने कहा अपने सीने में आस लगाए बैठे हैं,

ईश्वर के घर में कभी अंधेर नहीं होता, राजन गांधी ने कहा दिल की किताब में गुलाब उनका था, रात की नींद में ख्वाब उनका था, अशोक मलंग ने कहा टूटे गये मलंग सपने मेरे, दुश्मन हो गये अपने मेरे, एम सी योगी ने कहा प्रेम का खजाना सजाया था मैंने लोग पैसों के मोहताज निकले, सुरेन्द्र कल्याण ने कहा। मैं जिन्दा हूं मगर जिंदगी कहां रखते हैं, कुछ इस वजह से शान है,

खुशबू ए महफिल में हमारी, कुमारी खुशबू ने कहा पापा कहते हैं बिना हौसलों के शुरुआत नहीं होती, सत्या कोहंड ने कहा कंकड़ मोती कांटे फूल बगान क्या देखना, छोटा बड़ा मुश्किल आसान क्या देखना, आशीष ने कहा कुछ इस वजह से शान है खुशबू ए महफिल में हमारी,के लोग तो इत्र लगाते हैं हम रखते हैं तस्वीर तुम्हारी,कमलेश कुमार पालीवाल ने कहा कभी ये अच्छी होती है कभी अच्छी नहीं होती, मगर जब हद से बढ़ जाए खुशी अच्छी नहीं होती, ममता प्रवीण ने कहा मैं हंसा तो हंसा जी भरकर मैं रोया तो रोया खुलकर, खुशियां भी पाई है मैंने ग़म भी भरपूर देखा है, कवि कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा हवाएं बदली हुई है साहब,तभी तो तंगदिली है साहब करमजीत ने कहा तेरे जान दे रब्ब ही रूसिया,खत्म जी लगती कहानी है,शुभम कल्याण ने कहा हर शाम मरता है, फिर भी मौत से डरता है,रमेश कुमार ने गीत के माध्यम से सबका मन मोहा।

कार्यक्रम का संचालन मंच संस्थापक रामेश्वर देव ने किया, साथ ही कुमारी आफरीन व गुरमीत कौर ‘गुरी’ को भी मंच द्वारा सम्मानित किया गया, कार्यक्रम में नीरू खुराना गोपाल दास,संजीव कुमार सहित श्रोतागण भी उपस्थित रहे।

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