रांची, 25 नवंबर 2025
यह कड़ी चेतावनी आज आदिवासी-मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने दी इन्होने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह हमारी अंतिम शांतिपूर्ण अपील है।
न्याय मिला तो ठीक, वरना झारखंडी समाज एक साथ सड़क पर उतरेंगे और इतिहास का एक नया अध्याय लिखेगा।”
चार प्रमुख मांगें जिन पर केंद्र की चुप्पी को नायक ने “खुला विश्वासघात” करार दिया:
कोल बेयरिंग एरियाज अमेंडमेंट बिल 2024 पर तत्काल रोक
“बिना झारखंड सरकार की लिखित सहमति और ग्राम सभा की मुहर के एक इंच कोयला ब्लॉक भी आगे नहीं बढ़ने देंगे। कोल इंडिया को 50-100 साल की लीज देने का खेल बंद हो!
MESA बिल में जरूरी संशोधन कर तुरंत पारित करो“अनुसूचित क्षेत्रों में शहर बने या नहीं, फैसला ग्राम सभा का होगा। दस साल से फाइल घूम रही है – अब बस!”
झारखंड विशेष पुनर्गठन पैकेज और खनिज राजस्व में उचित हिस्सा
“कोयला, लोहा, यूरेनियम लूटकर दिल्ली ले गए, बदले में हमें विस्थापन, गरीबी और प्रदूषण मिला। अब हिसाब चुकता करो – न्यूनतम 50,000 करोड़ का विशेष पैकेज और खनिज राजस्व का बड़ा हिस्सा इसी सत्र में घोषित हो!”
पेसा बिल को हूबहू केन्द्र सख्ती से देश के सभी राजयोग मे लागु कराए ।
विजय शंकर नायक ने राज्य के 14 लोकसभा और 6 राज्यसभा सांसदों को सीधी चुनौती देते हुए से सवाल किया –
“आप दिल्ली में किसके प्रतिनिधि हैं? अपनी पार्टी के गुलाम या झारखंड की 4 करोड़ जनता के? इस सत्र में आपका स्टैंड तय करेगा कि इतिहास आपको गर्व से याद करेगा या शर्म से थूकेगा!”अंत में दृढ़ स्वर में नायक ने कहा,
“हम हिंसा नहीं चाहते। हम सिर्फ अपना हक चाहते हैं। लेकिन अगर हक न मिला तो पूरा झारखंड एक साथ खड़ा हो जाएगा। यह हमारा वचन है।”आदिवासी-मूलवासी जनाधिकार मंच ने सभी मीडिया संस्थानों से अनुरोध किया है कि इस प्रेस विज्ञप्ति को प्रमुखता से प्रकाशित/प्रसारित करें ताकि दिल्ली तक झारखंड की यह अंतिम शांतिपूर्ण पुकार ज़ोरदार तरीके से पहुँच सके।
