27 सितंबर वैश्विक पर्यटन दिवस पर- भारत में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

भारत जितना सुंदर है उतना ही अनोखा और आकर्षक है। शायद इसी लिये भारत में पर्यटन बहुत तेजी से बढ़ा और फला-फूला। देशी विदेशी सभी सैलानी यहां पर्यटन की ओर उन्मुख हुये हैं। हाँ कुछ अपवाद भी है जो इन्हें फलने फूलने में बाधा पहुँचाता है जैसे आतंकवाद व स्थानीय लोगों का व्यवहार आदि।
पर फिर भी पर्यटन पर आज लोगों का रुझान बढ़ा ही है


पर फिर भी पर्यटन पर आज लोगों का रुझान बढ़ा ही है
, घटा नहीं है। भारत सरकार ने भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये अनेक महती योजनाएँ बनाई और कार्यान्वित की है। एक जमाना था “गया को गया सो गया” जैसी कहावतें खूब प्रचलित थीं। तब घूमना फिरना कुछ गिने चुने लोगों का ही सौभाग्य माना जाता था।

उस समय दुनियाँ तय करने के साधन नहीं थे और लोग हजारों किलो मीटर पैदल यात्रा करते थे। पर आज स्थितियाँ बिलकुल बदल गई हैं। परिवहन में तेजी से तकनीकी क्रांति आई है जिससे पर्यटन हर वर्ग के लोगों के लिये आसान हो गया है। पर्यटन के अनेक पहलू हैं जैसे सांस्कृतिक पर्यटन, रोमांच और खेलकूद पर्यटन, सम्मेलन पर्यटन, ट्रैकिंग पर्यटन, समुद्रतट और वन्य प्राणी पर्यटन, धार्मिक पर्यटन आदि। पहले भारत में पर्यटन की कोई खास अहमियत नहीं थी।

लेकिन आज यह तेजी से बढ़ने वाला उद्योग बन चुका है, और राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में अपनी खास भूमिका रखता है। भारत एशिया का पहला देश है जिसने पाँचवे दशक की शुरुआत में ही पर्यटन को एक व्यवसाय के रुप में बल दिया था, पर खेद की बात है कि दूसरे देश जिन्होंने बहुत बाद में पर्यटन को महत्व देना शुरु किया वे इससे आगे निकल गये। संसार के लगभग 42 करोड़ लगभग 9 लाख पर्यटकों में से भारत में केवल लगभग 4.4 प्रतिशत पर्यटक ही आते हैं।
कैरियर के मौके भी उपलब्ध हैं। भारत में दसवीं योजना में घरेलू पर्यटन को खास रुप से सामाजिक और सांस्कृतिक समन्वय एवं राष्ट्रीय एकता के लक्ष्य को पूरा करने वाला बतलाया गया है।

केन्द्र राज्य सरकारों और निजी उद्यमों द्वारा शुरु की गई अवकाश यात्रा रियायत योजनाओं जैसी कई योजनाओं से घरेलू पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला। लेकिन महँगी आवास व्यवस्था रेलवे आरक्षण की कठिनाई और पर्यटक स्थलों के बारे में समुचित जानकारी न होने के कारण घरेलू पर्यटन में उपेक्षा के अनुसार वृद्धि नहीं हुई।भारत में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के काम में अनेक संस्थाएँ, एजेंसियाँ लगी हुई हैं।

इनमें से कुछ हैं – पर्यटन विभाग, भारतीय पर्यटन विकास निगम, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान और होटल प्रबंध, कैटरिंग प्रौद्योगिकी परिषद । पर्यटन विभाग इन सबका केन्द्र बिंदु हैं। तथा देश में पर्यटन के लिये साधन सुविधायें विकसित करने के लिये मुख्यतः जिम्मेदार हैं। देश में इसके तीस पर्यटन कार्यालय हैं और देश के बाहर भी इसके कई कार्यालय हैं। 1966 में स्थापित भारतीय पर्यटन विकास निगम, पर्यटन के सृजन, विकास और विस्तार के लिये जिम्मेदार है। आवास, भोजन, परिवहन, मनोरंजन, खरीदारी और विचार गोष्ठियों का आयोजन आदि की व्यवस्था करके यह पर्यटकों की अनेक प्रकार से सेवा करता है।

लगभग खत्म हो गया है तब से पर्यटन के लिए भारी संख्या में लोग जाने लगे हैं। सड़क परिवहन भी उद्योग का एक खास अंग है। विख्यात और बड़े होटल अकेले एवं समूह पर्यटकों के लिये सड़क परिवहन की सुविधायें उपलब्ध कराते हैं।
इस समय लगभग
250 अनुमोदित पर्यटक परिवहन संचालक है, जो पर्यटकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बसें और कोच उपलब्ध कराते हैं। शिवान पर्यटन निदेशालय ने अपने सर्वे में दावा किया है कि भारत में इस प्रकार के पर्यटन कार्यक्रम से पिछले एक साल मे विदेशी पर्यटकों के आगमन में 8 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तक वृद्धि हुई हैं।

पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चूँकि जंगल, समुद्र, पहाड़, नदी, बाग बगीचे, जीव – जानवर, आदि पर्यावरण पर्यटन के प्रधान तत्व है। इसलिये सरकार इनके संरक्षण के सांस्कृतिक पर्यावरण पर्यटन शुरु कर चुकी है। कहा गया है कि पर्यावरण पर्यटन की क्षमताएँ बेहद व्यापक है, जिनकी ओर भारत सरकार का ध्यान गया है। पश्चिम और अमीर देशों के पर्यटक अपनी एक रूप और कृत्रिम संस्कृति “से ऊब गया है, इसलिये वह भारत की ओर नई तरह से आकर्षित किया जा रहा है। इसी प्रकार यदि योजनाओं को सही ढंग से लागू कर लिया गया तो निश्चित रूप से पर्यटन उद्योग के विकास को नई दिशा मिलेगी इसमें कोई शक नहीं।


इस समय लगभग
250 अनुमोदित पर्यटक परिवहन संचालक है, जो पर्यटकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बसें और कोच उपलब्ध कराते हैं। शिवान पर्यटन निदेशालय ने अपने सर्वे में दावा किया है कि भारत में इस प्रकार के पर्यटन कार्यक्रम से पिछले एक साल मे विदेशी पर्यटकों के आगमन में 8 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तक वृद्धि हुई हैं।

पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चूँकि जंगल, समुद्र, पहाड़, नदी, बाग बगीचे, जीव – जानवर, आदि पर्यावरण पर्यटन के प्रधान तत्व है। इसलिये सरकार इनके संरक्षण के सांस्कृतिक पर्यावरण पर्यटन शुरु कर चुकी है। कहा गया है कि पर्यावरण पर्यटन की क्षमताएँ बेहद व्यापक है, जिनकी ओर भारत सरकार का ध्यान गया है। पश्चिम और अमीर देशों के पर्यटक अपनी एक रूप और कृत्रिम संस्कृति “से ऊब गया है, इसलिये वह भारत की ओर नई तरह से आकर्षित किया जा रहा है। इसी प्रकार यदि योजनाओं को सही ढंग से लागू कर लिया गया तो निश्चित रूप से पर्यटन उद्योग के विकास को नई दिशा मिलेगी इसमें कोई शक नहीं।

सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

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