झारखंड क्रिकेट की कराहती आवाज़: प्रतिभा रो रही है, व्यवस्था सो रही है — अब बदलाव अनिवार्य

झारखंड क्रिकेट में चल रही लगातार अव्यवस्था, टिकट घोटाले, सुरक्षा चूक और प्रतिभावान खिलाड़ियों की उपेक्षा ने राज्य की खेल प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। इस पर आदिवासी-मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक, ने तीखी चिंता व्यक्त की है और इस दिशा में राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन एवं बीसीसआई को पत्र लिखकर इमेल भेजा है ।
नायक ने कहा कि कल JSCA के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने दावा किया कि वे झारखंड क्रिकेट की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन जमीन पर स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। जबकि झारखंड क्रिकेट की वास्तविक स्थिति कुछ और ही है इन्होने आगे कहा की सुरक्षा चूक – बड़े मैचों में दर्शकों और खिलाड़ियों के लिए खतरा बना हुआ है
,टिकट कालाबाज़ारी ,नकली टिकट ने राज्य को कलंकित करने का कार्य किया ,ग्रामीण और आदिवासी प्रतिभाओं की उपेक्षा हो रही है ,महिला और जूनियर क्रिकेट में गिरावट देखा जा रहा है , चयन प्रक्रिया अपारदर्शी और पक्षपातपूर्ण होने के आरोप लग रहे है ,जिला क्रिकेट संरचना कमजोर है ; अधिकांश जिलों में अकादमी नहीं है |इन्होने स्पष्ट शब्दों में कहा की सिर्फ आज “JSCA सिर्फ बयान देता है, लेकिन मैदान पर काम नहीं करता।
यह प्रणाली अब खिलाड़ियों और जनता के लिए खतरे का कारण बन गई है।”अगर हम अन्य राज्यों से तुलना करे तो झारखण्ड काफी पीछे खड़ा है सिर्फ राज्य के अध्यक्ष अजयनाथ सहदेव और उपाध्यक्ष संजय पाण्डेय बोल बच्चन की भूमिका निभा रहे है जो चिंता का विषय है अन्य राज्यों की तुलना
राज्य उपलब्धियां झारखंड की स्थिति
कर्नाटक डिजिटल चयन, जिला लीग, टैलेंट हंट पारदर्शिता की कमी
तमिलनाडु हर जिले में क्रिकेट सेंटर, महिला क्रिकेट महिला क्रिकेट उपेक्षित
मुंबई मजबूत क्लब संरचना, स्कूल टूर्नामेंट स्कूल क्रिकेट मृतप्राय
बंगाल पारदर्शी ट्रायल, स्टाइपेंड प्रतिभा अवसरहीन
“JSCA केवल घोषणा करता है, जबकि अन्य राज्य मैदान पर काम कर रहे हैं।”
श्री नायक ने राज्य सरकार को पत्र में उठाए गए मुद्देके बारे जानकारी देते हुए कहा की JSCA की कार्यप्रणाली और चयन प्रणाली की उच्चस्तरीय जांच,जिला स्तर पर क्रिकेट अकादमी और मैदान निर्माण,स्टेडियम सुरक्षा की तकनीकी समीक्षा,टिकट वितरण को डिजिटल और पारदर्शी बनाना,गरीब, आदिवासी मूलवासी और ग्रामीण खिलाड़ियों के लिए विशेष कार्यक्रम किया जाना चाहिए |”सरकार को अब यह समझना होगा कि यह केवल खेल नहीं, बल्कि झारखंड की अस्मिता का सवाल है।”
इन्होने यह भी बताया की BCCI को भेजा गये पत्र में JSCA की लगातार लापरवाही पर BCCI ऑडिट जांच करे ,चयन प्रक्रिया को डिजिटल और निगरानी योग्य बनाया जाय ,जिला क्रिकेट और टैलेंट हंट कार्यक्रम को ब्यापक रूप से लागू कराया जाय ,महिला और जूनियर क्रिकेट के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में युद्ध स्तर पर कार्य किया जाय ,JSCA को जवाबदेह बनाया जाय “झारखंड की प्रतिभा देश और दुनिया में चमक सकती है—बस सिस्टम बदलना होगा।”
