
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया और एक कार्यक्रम के दौरान योग सत्र में भाग लिया। श्री मोदी ने 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत और दुनिया भर के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। वे बोले “11 सालों में, योग दुनिया भर में लाखों लोगों की जीवनशैली का अभिन्न अंग बन गया है।” उन्होंने योग ओलंपियाड में ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं की सक्रिय भागीदारी पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि सिडनी ओपेरा हाउस जैसे प्रतिष्ठित स्थलों से लेकर माउंट एवरेस्ट की चोटी और समुद्र के विशाल अंचल तक, एक ही संदेश है:

“योग सभी के लिए है, सीमाओं से परे, पृष्ठभूमि से परे, उम्र या क्षमता से परे।” उन्होंने कहा कि योगांध्र अभियान में दो करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए हैं, जिसे उन्होंने जन सहभागिता का जीवंत प्रदर्शन बताया। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा कि नागरिकों की इस तरह की उत्साहजनक भागीदारी ही विकसित भारत की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि जब लोग पहल करते हैं और किसी मकसद की जिम्मेदारी लेते हैं, तो कोई भी लक्ष्य हासिल करना संभव हो जाता है।
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक मौलिक सत्य को ज़ाहिर करता है- पृथ्वी पर मौजूद हर जीव का कल्याण आपस में जुड़ा हुआ है। उन्होंने विस्तार से समझाया कि मानव स्वास्थ्य मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की शुद्धता, पशुओं के कल्याण और पौधों से मिलने वाले पोषण से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि योग हमें इस गहरे संबंध के प्रति जागरूक करने में मदद करता है और हमें दुनिया के साथ एकता की ओर ले जाता है, “योग हमें सिखाता है कि हम अलग-अलग व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि प्रकृति के ही अभिन्न अंग हैं।

शुरुआत में हम अपने स्वास्थ्य और कल्याण की देखभाल करना सीखते हैं, लेकिन धीरे-धीरे, यही भावना हमारे पर्यावरण, समाज और पूरे ग्रह में समाहित हो जाती है। योग एक गहन व्यक्तिगत अनुशासन है, जो एक ही समय में एक सामूहिक प्रणाली के रूप में भी कार्य करता है – जो लोगों को मैं से हम में परिवर्तित करता है”। सांस्कृतिक लोकाचार का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का मूल्य सिखाता है – सभी की खुशी और भलाई एक पवित्र जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह दर्शन सेवा, निस्वार्थता और सद्भाव की नींव रखता है।
प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में बढ़ते तनाव, अस्थिरता और संघर्ष के बारे में चिंता जताई। उन्होंने योग को एक समाधान के रूप में दर्शाते हुए कहा कि “योग मानवता के लिए बेहद आवश्यक विराम का बटन है, जो सांस लेने के लिए, संतुलन बनाने के लिए, औऱ फिर से संपूर्ण बनने के लिए ज़रुरी है”। उन्होंने वैश्विक समुदाय से हार्दिक अपील करते हुए कहा कि “यह योग दिवस मानवता के लिए योग 2.0 की शुरुआत का प्रतीक है, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाती है।” उन्होंने योग को महज़ एक व्यक्तिगत दिनचर्या से अधिक बनाने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इसे वैश्विक साझेदारी के लिए उत्प्रेरक बनना चाहिए।
श्री मोदी ने सभी देशों और समाजों से दैनिक जीवन और सार्वजनिक नीति में योग को शामिल करने का आह्वान किया, और एक अधिक शांतिपूर्ण, संतुलित और टिकाऊ ग्रह बनाने के लिए एकजुट प्रयास के लिए अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि “योग को दुनिया को संघर्ष से सहयोग और तनाव से समाधान की ओर ले जाना चाहिए।
” अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने सभी से योग को जन आंदोलन बनाने की अपील की। उन्होंने योग की शक्ति से प्रेरित शांति, स्वास्थ्य और सद्भाव की वैश्विक लहर की कल्पना की। उन्होंने लोगों को व्यक्तिगत संतुलन के लिए रोज़ाना योग से शुरू करने की अपील की और समाज को सामूहिक तनाव को कम करने के लिए योग को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।